इन्हीं के कार्यकाल में कोयला तस्करों के बीच गोलीबारी हुई
बीते मंगलवार को यहां के निजी नर्सिंग होम चलाने वाले जिस डॉ परशुराम प्रसाद की हजारीबाग में हत्या कर दी गयी. उस पर 8 जनवरी 24 को विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के भेलवारा में गोलियां चलाई गई थी. उस मामले को भी थानेदार ने ठंढे बस्ते में डाल दिया था. हत्या को उसी की परिणति मानी जा रही है. थानेदार ने उस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसमें लिप्त अपराधियों का खुलासा कर दिया होता तो शायद डॉक्टर की जान बच गयी होती. इन्हीं के कार्यकाल में कोयला तस्करों के बीच गोलीबारी हुई. 27 जुलाई की रात कोनार डैम में माओवादियों द्वारा फायरिंग की गई. 3 अगस्त 24 को थाना क्षेत्र के गाल्होबार में सरफुद्दीन को अपराधियों ने पहले गोली मारी और फिर गर्दन रेत कर उसकी हत्या कर दी. लब्बोलुआब यह कि इलाके में अपराधी बेखौफ हो गए थे. पुलिस के इकबाल पर सवालिया निशान लग गए थे. ऐसी तमाम वजहें थानेदार के लाइन हाजिर होने की बताई जा रही हैं. इसे भी पढ़ें - बांग्लादेश">https://lagatar.in/attacks-on-hindu-community-in-bangladesh-united-nations-said-we-are-against-inciting-racial-violence/">बांग्लादेशमें हिंदू समुदाय पर हमले… संयुक्त राष्ट्र ने कहा, हम नस्ली हिंसा भड़काने के खिलाफ [wpse_comments_template]