Hazaribagh: विष्णुगढ़ के थानेदार पर आखिरकार गाज गिर ही गयी. अपनी करतूतों की वजह से चर्चा में रहे विष्णुगढ़ थाने के थानेदार इंस्पेक्टर राम नारायण सिंह को गुरुवार को लाइन हाजिर कर दिया गया. इनकी जगह किसी की पोस्टिंग नहीं की गयी है. इस वजह से यहां चर्चा परवान पर है कि एकबार फिर से कहीं इनकी पुन: वापसी तो नहीं होगी. मालूम हो कि लोकसभा चुनावों के पहले भी इन्हें लाइन क्लोज किया गया था. तब भी इनकी जगह किसी थानेदार को पदस्थापित नहीं किया गया था और विष्णुगढ़ के थानेदार की कुर्सी इन्हें दुबारा सौंप दी गयी थी. विष्णुगढ़ थाने के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था. हालांकि दो साल से ज्यादा के इनके रिकॉर्ड कार्यकाल में अपराधों की सुनामी आ गई थी. चोरी, छिनतई, कोयला व लकड़ी तस्करी उत्कर्ष पर थी. चार बार गोलीबारी की घटना घटी.
इन्हीं के कार्यकाल में कोयला तस्करों के बीच गोलीबारी हुई
बीते मंगलवार को यहां के निजी नर्सिंग होम चलाने वाले जिस डॉ परशुराम प्रसाद की हजारीबाग में हत्या कर दी गयी. उस पर 8 जनवरी 24 को विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के भेलवारा में गोलियां चलाई गई थी. उस मामले को भी थानेदार ने ठंढे बस्ते में डाल दिया था. हत्या को उसी की परिणति मानी जा रही है. थानेदार ने उस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसमें लिप्त अपराधियों का खुलासा कर दिया होता तो शायद डॉक्टर की जान बच गयी होती. इन्हीं के कार्यकाल में कोयला तस्करों के बीच गोलीबारी हुई. 27 जुलाई की रात कोनार डैम में माओवादियों द्वारा फायरिंग की गई. 3 अगस्त 24 को थाना क्षेत्र के गाल्होबार में सरफुद्दीन को अपराधियों ने पहले गोली मारी और फिर गर्दन रेत कर उसकी हत्या कर दी. लब्बोलुआब यह कि इलाके में अपराधी बेखौफ हो गए थे. पुलिस के इकबाल पर सवालिया निशान लग गए थे. ऐसी तमाम वजहें थानेदार के लाइन हाजिर होने की बताई जा रही हैं.
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