Kolkata : नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन फिर सुर्खियों में हैं. खबर है कि विश्वभारती और उनके बीच 13 डिसमिल जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. Visva Bharati University प्रबंधन ने अमर्त्य सेन को जमीन खाली करने का नोटिस भेजा है. अमर्त्य सेन को भेजे गये इस दूसरे नोटिस में विश्वविद्यालय ने जमीन तुरंत खाली करने को कहा है.

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वे अधिकतर समय अमेरिका में रहते हैं
विश्वविद्यालय प्रबंधन का आरोप है कि अपने हिस्से से ज्यादा जमीन अमर्त्य सेन के कब्जे में है. कहा गया है कि सेन तुंरत इसे लौटा दें. विश्वभारती यूनिवर्सिटी की ओर से तीन दिनों में जाने-माने अर्थशास्त्री को यह दूसरा नोटिस भेजा गया है. प्रबंधन का कहना है कि वे अधिकतर समय अमेरिका में रहते हैं. उनसे कहा गया है कि वे शांति निकेतन परिसर में जमीन पर अवैध कब्जे को खाली कर दें.
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1.38 एकड़ में से 13 डिसमिल जमीन विवादित
विश्वभारती सूत्रों के अनुसार अमर्त्य सेन के कब्जे में 1.38 एकड़ जमीन है. इनमें से 1.25 एकड़ कानूनी रूप से सेन की है. शेष 13 डिसमिल जमीन शांति निकेतन की कही जा रही है. सेन का कहना है कि शांति निकेतन परिसर में उनके पास जो जमीन है, उनमें से अधिकतर उनके पिता ने खरीदी थी, जबकि कुछ जमीन पट्टे पर ली गयी है. अब विश्वभारती उस जमीन को मांग रही है. प्रबंधन का आरोप है कि अमर्त्य सेन अतिरिक्त जमीन पर कब्जा जमाये बैठे हैं.
अमर्त्य सेन ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के दावे को खारिज कर दिया था
पूर्व में विश्वभारती के उप पंजीयक की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री का निवास एक ऐसे क्षेत्र में बनाया गया है, जिसमें अतिरिक्त 13 डिसमिल भूमि शामिल है. विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि वह अपने प्रतिनिधियों और सर्वेक्षणकर्ता या सेन के प्रतिनियुक्त सर्वेक्षणकर्ता या अधिवक्ता की निगरानी में संयुक्त सर्वेक्षण करने के लिए तैयार है ताकि दावों को सत्यापित किया जा सके.
अमर्त्य सेन ने पूर्व में केंद्रीय विश्वविद्यालय के दावे को खारिज कर दिया था जब उसने उन पर 125 डिसमिल या 75-कोट्टा भूमि के अलावा भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया था. अमर्त्य सेन का दावा है कि जमीन वी-बी को 1943 में उनके पिता आशुतोष सेन को सौंपी गयी थी.
बार-बार जमीन मांगे जाने को अमर्त्य सेन ने राजनीति करार दिया
सूत्रों के अनुसार विश्वभारती के नये नोटिस में जल्द से जल्द जमीन लौटाने का आग्रह किया गया है. इसमें कहा गया कि कृपया जितनी जल्दी हो सके भूमि को विश्वभारती को लौटा दें क्योंकि कानूनी कार्रवाई करने से आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा. इसके साथ ही विश्वभारती को भी जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.
जान लें कि बार-बार जमीन मांगे जाने को अमर्त्य सेन ने राजनीति करार दिया है. कहा है कि विश्वभारती का रवैया उन्हें समझ में नहीं आ रहा है. अचानक प्रबंधन मुझे हटाने के लिए इतना सक्रिय क्यों हो गया है. जरूर इसके पीछे दूसरा कोई कारण रहा है.
मोदी सरकार के आलोचक माने जाते हैं अमर्त्य सेन
अमर्त्य सेन केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के आलोचक रहे हैं, जिनमें CAA भी शामिल है, उन्होंने CAA को विभाजनकारी करार दे चुके हैं. उन्होंने हाल ही में कहा था कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पीएम बनने में सक्षम हैं.


