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उधार लेकर मैटेरियल खरीदा
बता दें कि रेवत अनुसूचित जाति से आते हैं. जब कुआं निर्माण का काम शुरू हुआ तो उस दौरान उन्हें मजदूरी का पैसा मिलता गया. जिसके कारण काम में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हुई. लेकिन काम करने के दौरान मैटेरियल उपलब्ध कराने के लिए रोजगार सेवक अमर कुमार बाउरी ने उसे कहा कि मैटेरियल उसे स्वंय खरीदना होगा, और बिल बाउचर जमा करने के बाद उसे मैटेरियल का पैसा एक साथ मिल जाएगा. वे रोजगार सेवक की बात पर भरोसा कर गांव की महिला समिति से 40 हजार रूपये उधार ले लिये. इसे भी पढ़ें- रांची">https://lagatar.in/ranchi-raids-in-child-improvement-home-ganja-cigarette-recovered/84471/">रांची: बाल सुधार गृह में छापेमारी, गांजा-सिगरेट बरामद
बीडीओ को दिया आवेदन
रेवत को उम्मीद थी कि एक महीने में कुआं निर्माण का कार्य पूरा होते ही राशि मिल जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दूसरी ओर रोजगार सेवक ने मैटेरियल का खर्च लाभुक से करवा लिया और उससे वाऊचर पर साइन भी करवा लिया था. इसका खामियाज वह पिछले तीन सालों से भुगत रहा है. रेवत आज भी महिला समिति को मूलधन तो वापस नही कर सका है, जबकि सूद के पैसे का भुगतान कर रहा है. पीड़ित ने बीडीओ को आवेदन दिया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. इसे भी पढ़ें- मोदी">https://lagatar.in/what-modi-is-calling-derogatory-free-ration-is-actually-a-right-to-food/85290/">मोदीजिसे अपमानजनक “मुफ्त का राशन” कह रहे हैं, वह असल में “राईट टू फूड” है [wpse_comments_template]
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