Kolkata : मोदी सरकार के आलोचक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में स्थानीय लोगों की सरकार होनी चाहिए न कि इसे केंद्र द्वारा शासित किया जाना चाहिए.सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए ममता बनर्जी की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. कहा कि मोदी सरकार आर्थिक नीति और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर फेल रही है. अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो इससे नुकसान होगा.
सांप्रदायिक विभाजन तेज करने की कोशिश हो रही है
अमर्त्य सेन ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार की, कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए, विशेष रूप से लड़कियों के लिए, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के विस्तार के लिए और खाद्य सुरक्षा के लिए तारीफ की जानी चाहिए. साथ ही राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए. पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, सेन ने इस तथ्य को खारिज कर दिया कि पहचान की राजनीति ने बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में अपने पांव पसार रही है.
सेन ने हिंदुत्व के झंडाबरदारों को दोषी ठहराया हुए कहा कि वे सांप्रदायिक विभाजन को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं।. सेन ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक बंगाल ने शांतिपूर्ण समझ के साथ बदलने के लिए कड़ी मेहनत की है.
भाजपा का सामाजिक न्याय पर रिकॉर्ड बुरा रहा है
सेन के अनुसार अगर बंगाल पर भाजपा द्वारा शासन किया जाता है तो इससे भाजपा के हाथों में सत्ता का केंद्रीकरण होगा, जिनकी अल्पसंख्यक अधिकारों की समझ बहुत सीमित है और जिनका आर्थिक नीति और सामाजिक न्याय पर रिकॉर्ड बुरा रहा है. विधानसभा चुनाव के परिणाम का राष्ट्रीय राजनीति पर असर को लेकर कहा कि बंगाल को उस दिशा में नहीं जाना चाहिए जिससे देश को नुकसान हो.