बनर्जी हार जायें. ऐसा मानने के पीछे कई कारण हैं. पहला कारण तो यही कि कोई कारण नहीं कि दस साल बाद भी ममता राइटर्स बिल्डिंग में फिर शपथ लें. दस साल का मुख्यमंत्रित्व किसी स्टेट को ट्रांसफॉर्म करने के लिए बहुत होता है. बंगाल वहीं है, जहां से उन्होंने लिया था. ममता के पास अपने दौर में पॉपुलिस्ट योजनाओं और विपक्ष को मार-पीटकर खत्म करने के अलावे, गिनाने को कुछ खास नहीं है. सारदा-नारदा, नियंत्रणहीन कैडर और तमाम घपले घोटाले, उनकी सादी सूती साड़ी की सलवटों में छुपे बैठे हैं. दूसरा - वह अकेली शेरनी हैं. कोई टीम नहीं, कोई उत्तराधिकारी नहीं. बराबरी के स्टेकहोल्डर नहीं, तो चेक एंड बैलेंस भी नहीं. आप या तो गुलाम हैं, या घाव सहलाते दुश्मन हैं. किस मुंह से ममता को लोकतंत्र का पहरुआ कहा जाए. इसे भी पढ़ें : ममता">https://lagatar.in/mamta-banerjee-released-video-from-hospital-and-appealed-to-supporters-to-keep-peace/36333/">ममता
बनर्जी ने अस्पताल से वीडियो जारी कर समर्थकों से शांति बनाये रखने की अपील की तीसरा कारण- राजनैतिक सफलता को सिर्फ चुनावी जीतों से तोलने वाले इन देश को अगले सबक की जरूरत है. नाटकबाजी, लटके झटके, स्ट्रीट फाइटर, अच्छे भाषण, लंबा संघर्ष... ये नहीं चाहिए जनता को. जनता, यानी वोटर मनोरंजन को बैठे दर्शक नहीं, जो किसी स्क्रिप्ट पर भाव विह्वल होकर वोट लुटाएं. हम दरबार में बैठे कोई राजा नहीं, जो किसी भिश्ती को संघर्ष के इनाम में, उसे एक दिन या पांच साल का राजपाट सौप दें. गवरनेंस इज अ सीरियस बिजनेस, एंड यू हैव क्लियरली फेल्ड अस. अब मेरे बच्चो का भविष्य, तुम्हारे संघर्ष के इनाम में कैसे दे दूं ? टू हैवी रिवार्ड यू आस्क फार.
देश को लड़ाकू विपक्ष की जरूरत
चौथा कारण- दस साल का लगातार राज बड़े से बड़े क्रिएटिव पर्सन, या दल को थका, पका और चुका देता है. हमारे नेता, शीर्ष पर जाकर वक्त रहते, गोल्डन सनसेट की ओर कदम बढ़ाना नहीं जानते. तो अगर आपने संघर्ष का पर्याप्त कंपनसेशन दे दिया है, तो उखाड़ फेंका जाए. पांचवा कारण - जो सबसे बड़ा कारण है, यह कि ममता अच्छा विपक्ष है, लड़ाकू है. विपक्ष को लड़ाकू एलाइज की जरूरत है. देश को लड़ाकू विपक्ष">https://lagatar.in/veteran-freedom-fighter-neelkanth-sahay-of-palamu-dies/36431/">विपक्षकी जरूरत है. अरविंद केजरीवाल, ममता, तेजस्वी, अखिलेश, थरूर, सचिन पायलट.. और इस तरह के फाइटर अभी हमें सड़क पर चाहिए. इनका किसी राज्य की हाई चेयर में घुसा खटमल बन जाना, नेशनल लॉस है.
ममता...खेला होने दो
इसलिए कि राज्यों की सरकारें अब वो नहीं रहीं, जो सात साल पहले थीं. वो केंद्र की मर्सी पर, दो शर्तों पर जिंदा हैं- आप गैर कांग्रेसी हों, और संघी एजेंडे से कोआपरेट करें. न मानने पर आपको वित्तीय रूप से कंगाल कर दिया जाएगा. ममता वर्तमान कार्यकाल में समझ चुकी होंगी. यानी ममता का अगला कार्यकाल, या तो बंगाल की कन्टीन्यूड कंगाली का होगा या वह संघी एजेंडे से केजरीवाल की तरह कोआपरेट करेंगी. क्या ऐसी ममता हमें चाहिए? नहीं. तो खेला होने दो, और हार जाओ ममता. Disclaimer : ये लेखक के निजी विचार हैं. इसे भी पढ़ें : तांत्रिक">https://lagatar.in/tantrik-raped-two-sisters-on-the-pretext-of-treatment-now-will-spend-40-years-in-jail/36438/">तांत्रिकने इलाज के बहाने किया दो बहनों से रेप, अब जेल में काटेगा 40 साल

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