Kolkata : पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हुई हिंसा की घटनाओं के कारण ममता सरकार और भाजपा में ठन गयी है. हिंसा को लेकर राज्य चुनाव आयोग का भी टेंशन बढ़ गया है. भाजपा ने हिंसा के लिए राज्य चुनाव आयोग सहित ममता की टीएमसी सरकार को जिम्मेदार करार देते हुए बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी है.नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करे
बंगाल भाजपा ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है. उधर टीएमसी ने केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर पूछा था कि हिंसा के वक्त केंद्रीय बल कहां थे? इसका जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया है.
#WATCH | Kolkata: Yesterday troops of BSF, CAPF and State Armed Forces were deployed for the Panchayat polls. No casualty was reported at the places these troops were deployed. Wherever these troops were deployed the elections were conducted smoothly…We did not receive a list… https://t.co/fuvjZ2BbT1 pic.twitter.com/kfA0tMiSvz
— ANI (@ANI) July 9, 2023
“No casualty where central forces were deployed”: BSF after violence in WB Panchayat polls
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— ANI Digital (@ani_digital) July 9, 2023
संवेदनशील बूथों पर सीएपीएफ को तैनात किया जाना चाहिए था
गृह मंत्रालय ने कहा है कि पंचायत चुनाव में उनके(केंद्रीय बल) तैनाती वाले बूथों पर कोई हिंसा नहीं हुई है. गृह मंत्रालय के सूत्रों का अनुसार जिन बूथों पर सीएपीएफ की तैनाती की गयी थी, वहां कोई हिंसा नहीं हुई है. माहौल बिगाड़ने की कोशिश पर तुरंत एक्शन लिया गया. गृह मंत्रालय ने कहा कि संवेदनशील बूथों पर सीएपीएफ को तैनात किया जाना चाहिए था. संबंधित जिलों के डीएम ने जिन बूथों पर केंद्रीय बलों को सुरक्षा के लिए भेजा, वहां सीएपीएफ ने व्यवस्था संभाली.
सीएपीएफ की 825 कंपनियां मांगी गयी, 649 कंपनियां राज्य को भेजी गयी
गृह मंत्रालय के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने सीएपीएफ की 825 कंपनियां मांगी थीं. जिनमें से 649 कंपनियां राज्य को भेजी गयी. कहा कि चुनाव आयोग का सहयोग नहीं मिलने के कारण पूरा केंद्रीय बल समय से नहीं पहुंच पाया. कहा कि सीएपीएफ कोऑर्डिनेटर ने राज्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कहा है कि उन्होंने सीएपीएफ को संवेदनशील क्षेत्रों/बूथों की सूची नहीं दी है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि राज्य चुनाव आयोग ने सीएपीएफ की तैनाती के लिए देर से अपनी डिमांड भेजी. बताया कि सीएपीएफ के भेजने के लिए ट्रेनों और रसद की व्यवस्था करने में समय लगता है. राज्य चुनाव आयोग द्वारा सीएपीएफ कंपनियों के आने-जाने और पोस्टिंग के बारे में जानकारी दी जाती है. उसी के आधार पर सीएपीएफ की तैनाती होती है.
SEC ने तैनाती के बारे में जानकारी शेयर नहीं की
SEC ने तैनाती के बारे में जानकारी शेयर नहीं की, बल्कि सीएपीएफ से कहा गया कि तैनाती के लिए डीएम से पूछें, जिससे इसमें समय लगा. एक उदाहरण दिया कि उत्तर बंगाल में तैनाती के लिए उत्तर पूर्व से कंपनियां भेजी जाती हैं. लेकिन उन्हें पहले कोलकाता आना पड़ा. उसके बाद दो अतिरिक्त दिनों की यात्रा कर उत्तर बंगाल पहुंचे. राज्य चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश नहीं था. इसलिए ऐसा हुआ. सुबह की बैठक में भी SEC ने तैनाती के संबंध में कुछ क्लियर नहीं किया.
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