Surjit Singh
क्या आप जानते हैं, कोरोना से लड़ने के मामले में हमारी सरकार ने कितनी बड़ी भूल की है. शायद नहीं. क्योंकि हमें कोई बताता ही नहीं. कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन की जरुरत है. यह बात तो सब जानते हैं. पर, शायद केंद्र की मोदी सरकार नहीं जानती या नहीं समझती. तभी तो जब दुनिया के तमाम बड़े देश वैक्सीन के ऑर्डर कर रहे थे, हम झूठे जश्न मना रहे थे. हमने कोरोना से सबसे अच्छे से लड़ा. हमारे पीएम मोदी दुनिया के सबसे अच्छे. यह सब तो आपने टीवी पर देखा ही होगा. अखबारों में पढ़ा ही होगा.
यूएस की ड्यूक ग्लोबल हेल्थ इन्नोवेशन सेंटर (Duke Global Health Innovation Centre, the US) ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2020 से लेकर 14 अगस्त 2020 तक यूके ने 150 मिलियन वैक्सीन (तीन तरह के) का ऑर्डर दिया. मतलब 15 करोड़. यूएस ने 400 मिलियन वैक्सीन ( चार तरह के ) का आर्डर जुलाई औऱ अगस्त 2020 में ही कर दिया. मतलब 40 करोड़. इसी तरह ईयू ने 800 मिलियन वैक्सीन (तीन तरह के) का ऑर्डर किया. मतलब 80 करोड़. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जर्मनी व जापान ने भी विभिन्न कंपनियों को करोड़ों वैक्सीन का ऑर्डर पिछले साल ही दे दिया.
और भारत की मोदी सरकार ने क्या किया. वर्ष 2020 में तो कुछ भी नहीं किया. अपनी पीठ थपथपाने में लगे रहे. बिहार में चुनावी रैली करते रहे. सरकार को बनानी थी. जनता जाये भांड़ में. भारत सरकार थोड़ी होश में आयी इस साल जनवरी में. यानी कि तीन महीने पहले. मोदी सरकार ने सीरम इंस्टीच्यूट को 11 मिलियन कोविशिल्ड की वैक्सीन और भारत बायोटेक को 5.5 मिलियन वैक्सीन (कोवैक्सिन) का ऑर्डर दिया.
तो यह स्थिति है वैक्सीन को लेकर. कोरोना की पहली लहर के एक साल बीतने के बाद भी आज देश में हर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी क्यों है. क्योंकि हमारी सरकार जानती है, सुविधा बढ़ाने से वोट नहीं मिलते. जान बचाने से वोट नहीं मिलते. पेट भरने से वोट नहीं मिलते. लोगों को महामारी से बचाने से वोट नहीं मिलते. वोट मिलते हैं धर्म के नाम पर.
विपक्ष को जलील करने के नाम पर. सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल करके. लोगों को पैसे देकर. फिर क्यों अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर, वैक्सीन की व्यवस्था समय रहते करे. जब तक हम वोट करते वक्त धर्म, जात देखते रहेंगे, हमारे शासक इसी तरह किसी जरुरी काम से गहरी निद्रा में सोते रहेंगे.