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जब मुस्लिम बादशाह और कवि हुए राम में लीन, कह दिया इमाम-ए-हिंद

Syed Shahroz Quamar Ranchi : मर्यादा पुरुषोत्तम राम को रोम-रोम में बसने वाला बताया जाता है, इसकी तस्दीक़ मुस्लिम बादशाहों और कवि-शायरों के यहां मिलती दिखती भी है. दीन-ए-इलाही जैसी धार्मिक वैचारीकी का सूत्रपात करने वाला मुगल बादशाह अकबर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से इतना प्रभावित था कि उसने उनके ऊपर एक सिक्का ही जारी कर दिया था. यह सिक्के सोने और चांदी के थे. ब्रिटिश म्यूजियम, कैबिनेट डे फ्रांस और भारत कला भवन संग्रहालय वाराणसी में संगृहीत हैं. अकबर के कई सालों बाद मैसूर के सुल्तान टीपू ने हाथ में `राम` नाम की अंगूठी पहनकर मर्यादा पुरुषोत्तम के प्रति अपनी आस्था को प्रदर्शित किया था. इसे भी पढ़ें - रामनवमी">https://lagatar.in/ayodhya-became-rammay-on-ramnavami-ramlala-dressed-in-yellow-clothes-millions-of-ram-devotees-do-puja-10-thousand-temples-decorated-with-flowers/">रामनवमी

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राम को इमाम-ए-हिंद कहने वाला शायर

राम को इमाम ए हिंद कहने वाला पहला व्यक्ति मुसलमान था. इक़बाल ने लिखा था, है राम के वजूद पे हिंदोस्तां को नाज़, अहले नज़र समझते हैं उनको इमाम-ए-हिंद. इसी उर्दू शायर ने कहा था, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा. लेकिन इक़बाल से बहुत पहले और बाद में भी अनगिनत मुस्लिम कवि,संपादक और अनुवादक हुए, जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर केन्द्रित रचनाओं का सृजन,संपादन और अनुवाद किया.

शेख़ की दास्ताने राम व सीता

सबसे पहला सम्मानित नाम है फारसी कवि शेख सादी का, जिन्होंने 1623 ई में दास्ताने राम व सीता शीर्षक से राम कथा लिखी थी. मुगल सम्राट अकबर को बेहिचक गंगा जमुना संस्कृति का प्रतीक माना जाता है. इस बादशाह ने पहली बार रामायण का फारसी में पद्यानुवाद कराया. अनुवादक थे मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी. शाहजहां के समय रामायण फैजी के नाम से गद्यानुवाद हुआ.

मुल्ला की मसीही रामायण

जहांगीर के जमाने में मुल्ला मसीह ने मसीही रामायण नामक मौलिक रामायण की रचना की. पांच हजार छंद में उन्होंने रामकथा को बद्ध किया था. बाद में 1888 में मुंशी नवल किशोर प्रेस, लखनऊ से यह अनुपम ग्रंथ प्रकाशित हुआ. कट्टर माने जाने वाले मुगलबादशाह औरंगजेब के काल में चंद्रभान बेदिल ने रामायण का फारसी पद्यानुवाद किया था. नवाब पीछे क्यों रहते. रामचरित मानस पहली बार लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के जमाने में उर्दू में छपी. इस रामायण में खंड के नाम थे: रहमत की रामायण, फरहत की रामायण,मंजूम की रामायण .

रामचरित मानस मुसलमानों के लिए भी आदर्श

अब्दुल रहीम खान-ए-खाना अकबर के नौ रत्नों में थे और गोस्वामी तुलसीदास के सखा भी. रहीम ने कहा था कि रामचरित मानस हिंदुओं के लिए ही नहीं मुसलमानों के लिए भी आदर्श है.वह लिखते हैं : रामचरित मानस विमल, संतन जीवन प्राण, हिंदुअन को वेदसम जमनहिं प्रगट कुरान कवि संत रहीम ने राम कविताएं भी लिखी हैं. इतिहासकार बदायूंनी अनुदित फारसी रामायण की एक निजी हस्तलिखित प्रति उनके पास भी थी जिसमें चित्र उन्होंने बनवा कर शामिल किये थे. इस 50 आकर्षक चित्रों वाली रामायण के कुछ खंड फेअर आर्ट गैलरी, वॉशिंगटन में अब भी सुरक्षित हैं.

तुलसी से ढाई सौ साल पहले खुसरो का राम गुनगान

रहीम के अलावा अन्य संत कवियों जैसे फरीद, रसखान, आलम रसलीन, हमीदुद्दीन नागौरी ने राम पर काव्य रचना की है. उर्दू हिंदी का पहला कवि अमीर खुसरो ने तुलसीदासजी से 250 वर्ष पूर्व अपनी मुकरियों में राम का जिक्र किया था.

उर्दू,फारसी और अरबी की लगभग 160 पुस्तकें

1916 में उत्तरप्रदेश के एक छोटे कस्बे, गाजीपुर में जन्मे अली जव्वाद ज़ैदी ने अपने जीवन के आखिरी दो दशक देश के कोने-कोने से उर्दू-रामायण की छपी पुस्तकें, पांडुलिपियाँ जमा करने में लगा दिये. उर्दू,फारसी और अरबी में लगभग 160 ऐसी पुस्तकों की फ़ेहरिस्त उन्होंने सामने लायी, जिसमें राम का वर्णन है. ये खज़ाना भारत के अलग-अलग शहरों में फैला हुआ है. दुखद है कि समय ने उनका साथ न दिया और इस फ़ेरहिस्त को पूरा करने और उसको एक पुस्तक का आकार देने का उनका सपना साकार न हो सका. गंगा जमुनी संस्कृति का दुर्लभ सितारा 2004 की छह दिसंबर की सर्द शाम संसार से कूच कर गया.

राम के मौजूदा भक्त

आज भी नाजऩीन अंसारी ,अब्दुल रशीद खां, नसीर बनारसी, मिर्जा हसन नासिर, दीन मोहम्मद् दीन, इकबाल कादरी, पाकि स्तान के शायर जफर अली खां जैसे कवि- शायर हैं जो राम के व्यक्तित्व की खुशबू से सराबोर रचनाएं कर रहे हैं. लखनऊ के मिर्जा हसन नासिर रामस्तुति में लिखते हैं: कंजवदनं दिव्यनयनं मेघवर्णं सुंदरं. दैत्य दमनं पाप-शमनं सिंधु तरणं ईश्वरं.. गीध मोक्षं शीलवंतं देवरत्नं शंकरं. कोशलेशम् शांतवेशं नासिरेशं सिय वरं..

नाज़नीन की उर्दू में रामचरित मानस

राम का जिक्र बिना हनुमान के अधूरा माना जाता है . उर्दू में इस अभाव को पूरा किया मंदिरों के शहर वाराणसी की एक मुस्लिम लड़की ने. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की छात्रा रही नाजऩीन अंसारी ने हनुमान चालीसा को उर्दू में लिपिबद्ध कर मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब की नायाब मिसाल पेश की है. अब यह लड़की बाबा तुलसी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को उर्दू में लिपिबद्ध कर रही है. इसे भी पढ़ें –कैम्पा">https://lagatar.in/campa-scheme-center-deposited-more-than-620-crores-in-last-three-financial-years-plantation-and-check-dam-work-in-full-swing/">कैम्पा

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