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नदी का पीला सोना चुराने वाले माफियाओं के खिलाफ कब होगी कार्रवाई - 2

संजीत यादव Palamu: नदी का पीला सोना कहे जाने वाले बालू की लूट इन दिनों पलामू में जोरों पर है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से पुलिस-प्रशासन कार्रवाई की जगह बालू माफियाओं को संरक्षण देने में जी-जान जुटा है. तरहसी एवं पांकी थाना क्षेत्र में बहने वाली अमानत नदी से माफिया रोजाना सैकड़ों ट्रक और ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में भरकर बालू ले जा रहे हैं. जब लगातार.">http://lagatar.in">लगातार.

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  की टीम इस खबर की तह तक पहुंची तो चौंकने वाली बात सामने आयी. इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है की इन बालू माफियाओं द्वारा थाना से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को हर महीने प्रति ट्रैक्टर पांच हजार रुपये बंधा हुआ है. लोगों का यह भी कहना है कि जैसे ही जिले से कोई अधिकारी इन बालू माफियाओं पर कार्रवाई करने आते हैं तो उन सभी को थाना या जनप्रतिनिधियों द्वारा पहले ही सतर्क कर दिया जाता है. वीडियों में देखें किस तरह अवैध बालू उठाव चल रहा है वहीं दूसरी ओर विश्रामपुर व हुसैनाबाद थाना क्षेत्र में बहने वाली कोयल नदी से बालू माफिया रोजाना ट्रकों से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ भेज रहे हैं. पलामू पुलिस आंखों पर पट्टी बांधकर इन्हें संरक्षण देने में जुटा हुआ है. इधर राज्य सरकार को बालू से प्राप्त होने वाले राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. कभी-कभी बीच-बीच में दिखावे के लिए वैसे लोगों की गाड़ियां पकड़ीं जाती हैं जो इनको समय पर सुविधा शुल्क नहीं देते हैं. अगर सरकार द्वारा बालू घाटों की नीलामी कर दी जाती है तो इससे बालू का अवैध कारोबार तो रुकेगा ही साथ में सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. इसे भी पढ़ें- CM">https://lagatar.in/cm-said-all-the-blocks-of-the-land-will-have-unique-codes-devices-will-be-installed-to-mark-the-land/39126/">CM

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इन जगहों पर होता है बालू का अवैध खनन पांकी- अमानत नदी तरहसी- अमानत नदी सतबरवा- औरंगा नदी हरिहरगंज- कोयल नदी बिश्रामपुर- कोयल नदी पलामू में बालू के तीन मुख्य श्रोतों के नाम पलामू में बालू के मुख्य श्रोतों के नाम औरंगा, कोयल और आमानत नदियां हैं. जिसमें खास तौर पर अमानत और कोयल नदी के बालू अच्छी क्वालिटी के होने के कारण इसकी डिमांड राज्य के बाहर भी है. जिस कारण बालू माफियाओं को कभी भी घाटों के आस-पास देखा जा सकता है. सड़कों पर हाईवा पर बालू लोड कर अन्य राज्यों में भेजा जाता है. जबकि ट्रैक्टर द्वारा उठाये गये बालू निश्चित तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गिराये जाते हैं. इसे भी पढ़ें- शर्मनाक">https://lagatar.in/embarrassing-ranchi-one-and-a-half-month-old-newborn-burnt-alive-in-anagada-investigation-ongoing/39132/">शर्मनाक

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इधर ग्रामीणों का कहना है कि यह उनकी मजबूरी है कि सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लिए इन बालू माफियाओं से ही उन्हें बालू गिरानी पड़ती है.अगर सरकार द्वारा घाटों की नीलामी कर ग्रामीणों को दे दी जाये तो इससे बहुत हद तक बालू तस्करी पर अंकुश लगाया जा सकता है.  

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