Ranchi: कोविड के बाद संक्रमित हो चुके लोगों में लगातार खून मोटा होने की समस्या देखने को मिल रही है. इसका सीधा प्रभाव लोगों के हार्ट पर हो रहा है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. ऐसे में इन रोगियों को खून पतली करने की दवाई दी जा रही है. इस विषय में रिम्स ने रिसर्च किया कि आखिर कोरोना संक्रमण में खून के थक्के क्यों लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं. रिम्स के इस गाइडलाइन रिसर्च को डब्लूएचओ ने सराहा.
बता दें कि शनिवार को आयोजित ऑनलाइन बैठक में WHO ने रिम्स में कोरोना काल के दौरान किए गए कार्यों की सराहना की. इसमें वैक्सीनेशन से लेकर न्यूरोलॉजी संबंधी समस्याओं पर रिम्स के कार्यों को सराहा. रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद के साथ हुई ऑनलाइन बैठक में डब्लूएचओ ने कोरोना संबंधी कई मुद्दों पर चर्चा की. इस बैठक में कई देश के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. जिसमें पूरे भारत से सिर्फ डॉ कामेश्वर प्रसाद इस बैठक में मौजूद थे. डब्लूएचओ के साथ 15 जून को हुई बैठक में कोरोना गाइडलाइन के पालन को लेकर चर्चा की गई थी. जिस पर डॉ कामेश्वार प्रसाद ने गाइडलाइन बनाने में अहम भूमिका निभायी थी.
रिम्स निदेशक ने किया औचक निरीक्षण
इधर रिम्स निदेशक ने शनिवार को विभिन्न विभागों का औचक निरीक्षण किया. जिसमें कई विभागों के सदस्य अपने कार्यस्थल पर मौजूद दिखे. लेकिन कई अनुपस्थित भी पाए गए. निदेशक ने कहा कि जो ड्यूटी से गायब पाए गये हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी. कहा कि सभी कर्मियों को तय समय तक अस्पताल में ही रहना होगा.
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