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पुलिस सिस्टम को कमजोर बनाने के जिम्मेदार कौन!

तथ्य - जैप और आईआरबी के 21 में से 10 बटालियन में कमांडेंट का पद रिक्त - प्रभार के भरोसे चल रहा है पांच बटालियन का काम. - 21 नव प्रोन्नत आईपीएस डीएसपी के पद पर काम कर रहे हैं. Saurav Singh Ranchi: अंततः अब यह सवाल उठने ही लगा है कि क्या झारखंड में पुलिस सिस्टम को कमजोर किया जा रहा है. इसके जिम्मेदार कौन हैं? आखिर किन मजबूरियों की वजह से पद खाली रहने के बावजूद आईपीएस अफसरों को पोस्टिंग नहीं की जा रही है? किस बात का इंतजार किया जा रहा है? जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए झारखंड में जैप और आईआरबी के बटालियन बनाए गए. उद्योगों को सुरक्षा देने के लिए अलग से एसआईएसएफ का गठन किया गया. कुल 21 बटालियन हैं. इनमें से 10 बटालियन में कमाडेंट के पद रिक्त हैं. जैप की चार, आईआरबी की तीन, एसआईआपबी की दो और एसआईएसएफ की एक बटालियन शामिल है. जैप के एक और आईआरबी की चार बटालियन में कमांडेंट का पद प्रभार के भरोसे चल रहा है. यह स्थिति तब है, जब राज्य पुलिस में 21 नव प्रोन्नत आईपीएस हैं. उनसे डीएसपी का काम लिया जा रहा है. कल्पना कर सकते हैं, उन बटालियनों में काम कैसे हो रहा होगा और वहां पर पुलिस सिस्टम कैसे कमजोर पड़ रहा होगा. वहां अनुशासन की क्या स्थिति होगी. इसे भी पढ़ें -रांची">https://lagatar.in/ranchi-university-wow-vice-chancellor/">रांची

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पिकेटों के निरीक्षण का काम बंद हो गया है

जैप और आइआरबी की कुल 18 बटालियन के जवानों को नक्सल प्रभावित इलाकों में बनाये गये 115 पिकेटों पर तैनात किया गया है. बटालियनों में कमांडेंट के नहीं होने से पिकेटों के निरीक्षण का काम बंद हो गया है. नियमानुसार, कमांडेंट को साल में एक बार हर पिकेट का निरीक्षण करना है और वहीं पर रात भी बितानी है. ताकि जवानों के अनुशासन और उनकी सुविधाओं व समस्याओं को समझा जा सके.

पोस्टिंग के इंतजार में सात आईपीएस

हालात ऐसे हैं कि जिस राज्य में आईपीएस अफसरों की कमी की बात की जाती है, उसी राज्य में सात आईपीएस को वेटिंग फॉर पोस्टिंग में रखा गया है. उनमें चंदन झा, अमित रेणु, आनंद प्रकाश, चंदन सिन्हा, अंबर लकड़ा, सुभाष चंद्र जाट और अनुरंजन किस्पोट्टा का नाम शामिल है.

दो बैच के 8 में चार बन गए एसपी, चार को इंतजार

झारखंड में दो बैच के आठ आईपीएस हैं. वर्ष 2018 और 2019 बैच के चार-चार. 2018 बैच के मुकेश लुनायत, के विजय शंकर, मनोज स्वर्गीयारी को सात अप्रैल 2022 को सरकार ने एसपी के पद पर पोस्टिंग दी. लेकिन इसी बैच के हरविंदर सिंह अभी तक एएसपी के पद पर ही काम कर रहे हैं. इसी तरह वर्ष 2019 बैच के शुभांशु जैन को सरकार ने एसपी के पद पर पोस्टिंग दे दी है. जबकि उन्हीं के बैच के ऋषभ गर्ग, सुमित कुमार अग्रवाल और कपिल चौधरी अभी एएसपी ही हैं. सहज ही समझा जा सकता है, भारतीय पुलिस सेवा के इन अफसरों को कैसा महसूस हो रहा होगा. क्या इसकी परवाह उनके सीनियर आईएएस-आईपीएस को है?

एसपी के 9 पद भी खाली

आईपीएस अफसर वेटिंग फॉर पोस्टिंग में हैं. एएसपी-डीएसपी के पद पर काम कर रहे हैं और जिलों में एसपी का पद रिक्त है. सुनने में अटपटा लगता है. पर यह सच है. धनबाद में सिटी और ग्रामीण एसपी का पद, रांची के ग्रामीण एसपी का पद, सीएम की सुरक्षा अधिकारी के एसपी का पद, स्पेशल ब्रांच में एसपी का दो पद, एसपी ऑपरेशन, एसपी एससीआरबी और एसपी एसटीएफ के पद रिक्त हैं. इसे भी पढ़ें - अवैध">https://lagatar.in/illegal-mining-case-advocate-missing-for-petition-filed-for-cbi-probe-police-engaged-in-search/">अवैध

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