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फर्जी रसीद छपवा कर राम मंदिर के लिये चंदा मांगने वाली उषा आफले कौन है?

Pankaj Chaturvedi राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण के लिए चन्दा जमा करना, कई लोगों के लिए कमाई का जरिया बन गया है और देश के हर शहर-कस्बे में ऐसे लोग सक्रिय हैं. बिलासपुर में तो जो चेहरा सामने आया वह खुद को पत्रकार, समाज सेवक सब कुछ कहता रहा है. बिलासपुर छत्तीसगढ़ में उषा आफले नाम की एक महिला ने फर्जी बिल रसीद छपवाकर मंदिर निर्माण निधि की राशि अपने खाते में ट्रांसफर करा ली. इसको लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निधि समर्पण समिति की ओर से सिविल लाइंस थाने में FIR दर्ज कराई गई है. [caption id="attachment_20018" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/01/arnav-sis3.jpg"

alt="फर्जी रसीद छपवा कर राम मंदिर के लिये चंदा मांगने वाली उषा आफले कौन है" width="600" height="400" /> उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के साथ उषा आफले की तस्वीर.. उषा आफले पर फर्जी बिल रसीद छपवाकर राम मंदिर निर्माण निधि की राशि अपने खाते में ट्रांसफर करने का आरोप है...[/caption] जानकारी के मुताबिक, श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निधि समर्पण समिति की ओर निधि कलेक्शन किया जा रहा है. इस दौरान समिति के पदाधिकारियों को पता चला कि बिलासपुर में एक महिला उषा आफले भी धन संग्रह कर रही हैं. आरोप है कि उषा समिति और मंदिर प्रबंधन से नहीं जुड़ी हैं. बावजूद इसके उन्होंने फर्जी रसीद छपवा ली और निधि संग्रह करना शुरू कर दिया. उसके रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कराये.

सोशल मीडिया के जरिए धोखाधड़ी का पता चला

समिति के अध्यक्ष डॉ. ललित मखीजा और संयोजक संदीप गुप्ता ने पुलिस को बताया कि धन संग्रह के लिए वैधानिक रसीद और कूपन प्रत्येक दानदाता को दी जा रही है. उषा आफले ने निजी रसीद छपवा कर निजी एकाउंट में रुपए ट्रांसफर कराए हैं. उन्हें इसकी जानकारी फेसबुक और वॉट्सएप के माध्यम से मिली है. इसके चलते कई लोग ठगी के शिकार हुए हैं. उन्होंने पुलिस से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की है.

रसीद छापने वाले ने भी की थी पुलिस को शिकायत

वहीं रसीद छापने वाले शख्स ने खुद को इस मामले से पूरी तरह अलग कर लिया है. मगर पारा स्थित गोस्वामी प्रिंटर्स की ओर से भी शिकायत दी गई है. इसमें कहा गया है कि 11 जनवरी को उषा आफले ने श्रीराम मंदिर की रसीद 300 पेज की छपवाई थी. इसमें 50 पन्ने की 6 बुक शामिल हैं. अधिकृत व्यक्ति की जानकारी न होने के कारण उन्होंने रसीद प्रिंट कर दी. साथ ही यह भी कहा गया है कि उषा आफले इसके लिए अधिकृत नहीं है. इसकी जानकारी उनको नहीं थी. जान लें इस समय चंदा जोड़ना तनाव बढ़ाने, दंगा कराने और कमाई करने का जरिया बना है और इसे कतिपय लोग जान-बुझ कर प्रोत्साहित कर रहे हैं. डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं

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