Sanjeet Yadav Palamu : जेजेएमपी सुप्रीमो और 15 लाख इनामी पप्पू लोहरा उर्फ सोमेद लोहरा के आज मुठभेड़ में मारे जाने के साथ ही पलामू और लातेहार में लंबे समय से फैला उसका आतंक समाप्त हो गया. लेकिन उसकी कहानी आम नक्सलियों से एकदम अलग है. उसने एक वक्त करीब 15 साल तक पुलिस के साथ मिलकर माओवादियों का सफाया किया और बाद में खुद पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया. बचपन में जुड़ा माओवादी संगठन से लातेहार जिले के नोरी कोने गांव का रहने वाला पप्पू लोहरा बहुत कम उम्र में माओवादी संगठन से जुड़ गया था. उसने संगठन के टॉप कमांडर संजय यादव के साथ मिलकर काम किया. बाद में दोनों ने माओवादी संगठन से अलग होकर झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) की नींव रखी, जिसकी कमान शुरू में संजय यादव के हाथ में थी. इसे भी पढ़ें : कभी">https://lagatar.in/pappu-lohara-reward-10-lakh-on-his-head-once-roamed-around-with-jharkhand-police-then-started-challenging/">कभी
झारखंड पुलिस के साथ घूमता था 10 लाख इनामी पप्पू लोहरा, फिर देने लगा चुनौती लेवी वसूली से बढ़ी ताकत संजय यादव और पप्पू लोहरा ने तीन बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से 35 लाख रुपये लेवी वसूली की थी. उन लोगों ने लेवी का सारा पैसा लातेहार के एक पान गुमटी में छिपाकर रखा था. एक दिन नवागढ़ जंगल में पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद हुआ और संजय यादव को मार दिया गया. इसके बाद संगठन की कमान पप्पू लोहार के हाथों में आ गयी. वहीं लेवी का पैसा गुमटी चलाने वाले व्यक्ति और पप्पू लोहार ने रख ली. कभी बना पुलिस का सहयोगी पप्पू लोहरा ने कुछ वर्षों तक पलामू ,लातेहार और चतरा में पुलिस के साथ मिलकर कई बड़े माओवादियों का सफाया कराया. 8 जून 2015 को उसकी मदद से ही पुलिस ने पलामू जिले के सतबरवा थाना क्षेत्र स्थित बकोरिया में माओवादी डॉक्टर अनुराग यादव समेत कई नक्सलियों को मार गिराया था. इस मुठभेड़ में कई निर्दोष भी मारे गये थे. झारखंड विधानसभा में भी इस पर आवाज उठी थी, लेकिन जांच में मुठभेड़ को सही ठहराया गया. इसे भी पढ़ें : चाईबासा">https://lagatar.in/security-forces-achieved-success-from-chaibasa-to-latehar-and-bokaro-17-naxalites-killed-in-5-months/">चाईबासा
से लातेहार व बोकारो तक सुरक्षाबलों को सफलता, 5 माह में 17 नक्सली ढेर फिर बना पुलिस का दुश्मन धीरे-धीरे पप्पू लोहरा खुद पलामू और लातेहार के लिए आतंक का पर्याय बन गया. सितंबर 2021 में पुलिस के साथ उसकी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें झारखंड जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार शहीद हो गये थे. इसके बाद वह पुलिस के लिए सिर का दर्द बन गया था. कई जगहों पर खरीदी थी संपत्ति सूत्रों की मानें तो पप्पू लोहरा की दो पत्नियां थीं. इसके अलावा भी उसका चार महिलाओं के साथ संबंध था. जानकारी के अनुसार, मेदिनीनगर के एक बैंक में उसने अपनी पत्नी के नाम पर 1 करोड़ रुपये जमा कर रखा था. इसके अलावा लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र में शिक्षा निकेतन के पास किसी साहू महिला के नाम से उसने 10 एकड़ जमीन भी खरीदी थी. चर्चा यह भी है कि पप्पू लोहरा ने रांची और लातेहार में एक मॉल सहित कई फ्लैट और जमीनें खरीदी थीं. लातेहार में टेंडर मैनेज करने का भी करता था काम जानकारी के अनुसार, सुप्रीमो पप्पू लोहरा कुछ दिन पहले से वह कोयला, जमीन और सरकारी टेंडर मैनेज करने का काम करता था. लातेहार में जितने भी टेंडर निकलते थे, सभी में इसके गुर्गे ही काम करते थे. उसका इतना दबदबा था कि बिना उसकी मंजूरी के कोई ठेकेदार टेंडर का पेपर तक नहीं जमा कर सकता था. लातेहार में टेंडर जिला अभियंत्रण कक्ष या एसपी कार्यालय में पुलिस की सुरक्षा में होता है. लेकिन जब कोई ठेकेदार टेंडर का पेपर जमा करने पहुंचता था, तो पप्पू लोहरा के गुर्गे वहां पहुंचकर ठेकेदार को फोन पर पप्पू लोहरा से बात करा देते थे. इसके बाद डर से ठेकेदार पीछे हट जाते थे. इसके बाद पप्पू लोहरा जिसे चाहता, वही ठेकेदार टेंडर का पेपर जमा कर टेंडर हासिल करता था. इसे भी पढ़ें : CM">https://lagatar.in/cm-hemant-will-hold-a-high-level-review-meeting-on-27th-on-16-agendas-including-infiltration-criminal-incidents/">CM
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