कौन जीतेगा नंदीग्राम का संग्राम?

Apurv Bhardwaj वर्ष 2019 में ममता बनर्जी की पार्टी को नंदीग्राम में 63 % फीसदी वोट मिला था. उनकी पार्टी को पूरे बंगाल में केवल 43 % वोट मिला था. मतलब नंदीग्राम में टीएमसी को 20 फीसदी अधिक वोट मिले थे. माना जा रहा है कि ये 20% अधिक वोट टीएमसी को अधिकारी फैमिली की वजह से मिला था. क्योंकि वहां शुभेंदु के रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे थे. उसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 30 प्रतिशत वोट मिले थे. अगर वर्ष 2019 के चुनाव में ममता बनर्जी को मिले 20 ℅ वोट को बीजेपी के वोट में मिला दे, तो उसका वोट 30 % से बढ़ कर 50 % हो जाता है. इस हिसाब से शुभेंदु अधिकारी को यह चुनाव जीतना चाहिए. लेकिन कहानी में कुछ ट्विस्ट भी है. उसे भी समझने की जरुरत है. नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में 26 फीसदी वोट मुस्लिम समुदाय वर्ग के हैं. जो इस बार ममता को 90 फीसदी जायेगा. तो इससे यही समझ बनती नंदीग्राम में मुकाबला कांटे का है. इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि नंदीग्राम में मुकाबला शुभेंदु अधिकारी परिवार की विरासत और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी कैडर के बीच है. ढेर सारी परस्पर विरोधी ग्राउंड रिपोर्ट्स पढ़ने के बाद नंदीग्राम का मुकाबला वर्ष 2015 के बिहार चुनाव की याद दिला रहा है. 2 मई को पहले दो राउंड में अधिकारी आगे चलेंगे, फिर ममता के लीड करने की उम्मीद है. वैसे भी पश्चिम बंगाल का यह चुनाव बंगाल के इतिहास का सबसे बड़ा चुनाव सिद्ध होने वाला है. इस चुनाव में बंगाल में एक इतिहास लिखा जा रहा है. जो इस देश की राजनीति की दशा और दिशा ही बदल देगा. डिस्क्लेमरः लेखक डाटा एनालिस्ट हैं और यह उनके निजी विचार हैं.
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