Jey sushil
अदार पूनावाला यूं ही नहीं भागे हैं लंदन. ये प्रीविलेज है बड़े लोगों का. भारत में दबाव पड़ा तो भाग गए. क्योंकि वो अफोर्ड कर सकते हैं. लंदन से वो कह रहे हैं कि उन पर भारत में दबाव था. पावरफुल लोग लगातार दबाव डाल रहे थे. ऑक्सीजन के लिए, वैक्सीन के लिए.
इस समय भारत में पावरफुल कौन है, यह दुनिया जानती है. पूनावाला बढ़िया मुनाफा बना ही रहे थे. लेकिन सिस्टम है कि सिस्टम को अपने लिए पहले चाहिए. कुछ राइट विंग भक्त लिख रहे हैं कि अब पूनावाला चला गया तो जेएनयू के सोशियोलॉजी विभाग वाले वैक्सीन बनाएं. ऐसे लोगों की कुंठा समझ में आ सकती है. ये वही सिस्टम है जो पूनावाला पर दबाव डाल रहा होगा. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री फडनवीस के भतीजे की तस्वीर है, वैक्सीन लेते हुए. वो भी तब जब 45 साल से ऊपर के लिए ही वैक्सीन लेने का नियम था. वो बीस बाईस साल की उम्र में वैक्सीन पा जाते हैं.
पूनावाला की आलोचना मुनाफा कमाने को लेकर हुई ही थी कि उन्हें कम मुनाफा कमाना चाहिए. बीजेपी के एक नेता ने उन्हें डकैत कहा था और एक नेता ने कहा कि भारतीय कानूनों के अनुसार पूनावाला को बाध्य किया जाए कि वो मुफ्त में वैक्सीन दें. ये सब ट्विटर पर उपलब्ध है. सुब्रहमण्यम स्वामी ने पूनावाला को संसदीय समिति के सामने बुलाने की सिफारिश की थी. लब्बोलुआब ये है कि राइट विंग को कैपिटलिज्म चाहिए. लेकिन कैपिटलिज्म की आड़ में अपना सिस्टम भी चाहिए. वह यह कि पूनावाला वैक्सीन पहले हमको दे दे. हमारे परिवार को दे दे. लेफ्ट लिबरल तो पूनावाला की आलोचना करेगा ही कि वैक्सीन फ्री हो.
लेकिन वैक्सीन फ्री देना पूनावाला का काम नहीं है. राष्ट्रीय आपदा है. जैसे भारत सरकार ने पूनावाला से वैक्सीन खरीद कर विदेश निर्यात किया है, उसी तरह भारत सरकार को अपने पैसे से वैक्सीन खरीद कर पूरे देश में फ्री में उपलब्ध करवाना चाहिए. यहां भी सरकारी अस्पतालों को पीछे छोड़ दिया गया है. कल ही पढ़ रहा था कि कुछ निजी अस्पतालों में वैक्सीन मिल रहा है. सरकारी अस्पतालों में पहुंचा नहीं है. सरकार ने एक साल से अल्हुआ खोदा है. ये अल्हुआ ही निकल रहा है. अब पूनावाला लंदन में है. वहीं पर किंगफिशर वाले माल्या और आईपीएल वाले ललित मोदी हैं. जिनको लाने के बारे में लंबे चौड़े दावे किए गए थे.
पूनावाला को खुल कर बताना चाहिए कि कौन से पावरफुल लोग थे, जिन्होंने उन पर दबाव डाला था. देश में दो चार ही तो पावरफुल लोग हैं. अंबानी, अडानी या फिर मोदी और शाह.तो अगर इनके दबाव के कारण पूनावाला भागे हैं तो ज़िम्मेदार कौन है, ये समझना मुश्किल नहीं है. राइट विंग को खूब पता है लेकिन वो इस मामले में भी लेफ्ट लिबरल को दोषी ठहराएंगे. अकारण. क्योंकि उनके पास अपने आका के बचाव में कुछ रह नही गया है.