क्या होता इकोनॉमिक सर्वे?
बता दें कि इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल डॉक्युमेंट होता है. जिसमें पिछले एक वित्त वर्ष के दौरान भारत के आर्थिक विकास की समीक्षा की जाती है. इसके लिए विभिन्न सेक्टर्स, इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, रोजगार, महंगाई, एक्सपोर्ट जैसे डेटा का सहारा लिया जाता है. आर्थिक समीक्षा इन डेटा के विस्तृत एनालिसिस पर आधारित होती है. इसमें मनी सप्लाई और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व जैसे अन्य पहलुओं पर भी गौर किया जाता है. जिनका असर भारत की इकोनॉमी पर पड़ता है. इसे भी पढ़े : देश">https://lagatar.in/in-the-country-in-the-last-24-hours-more-patients-were-healthy-than-infected-209918-new-cases-were-found-262628-beat-corona/">देशमें पिछले 24 घंटे में संक्रमितों से ज्यादा मरीज हुए स्वस्थ, 2,09,918 नये मामले मिले, 2,62,628 ने दी मात
एक साल के दौरान खर्च और बचत का होता है लेखा-जोखा
आसान शब्दों में कहे तो इकोनॉमिक सर्वे लेखा-जोखा की तरह होता है. मान लें कि आप अपने घर के एक-एक सामान का हिसाब एक रजिस्टर में मेंटेन करते हैं. साल के अंत में परिवार का मुखिया उस रजिस्टर को चेक करता है और यह देखता है कि एक साल में कितना खर्च किया गया और कितनी बचत हुई. इसी के आधार पर फिर अगले साल के घर खर्च की तैयारी की जाती है. इकोनॉमिक सर्वे भी कुछ इसी तरह का होता है. जिसमें देश के पिछले एक साल के हिसाब-किताब के आधार पर अगले साल का बजट तैयार करने की रूपरेखा तय की जाती है. इसे भी पढ़े : संसद">https://lagatar.in/budget-session-of-parliament-will-start-with-presidents-address-finance-minister-will-present-economic-survey/">संसदका बजट सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगा शुरू, वित्त मंत्री पेश करेंगी आर्थिक सर्वेक्षण
भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करता है यह सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे एक साल में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. जिसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. इसी इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में देश की अर्थव्यवस्था के अंदर किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर सरकार को सुझाव भी दिये जाते हैं. लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं करना यह सरकार की जिम्मेदारी होती है. यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे को बजट पेश होने के ठीक पहले संसद के पटल पर रखा जाता है. इसे भी पढ़े : फरवरी">https://lagatar.in/banks-will-be-closed-for-12-days-in-february-check-the-list-of-holidays-before-going-to-the-branch/">फरवरीमें 12 दिन बंद रहेंगे बैंक, ब्रांच जाने से पहले चेक कर लें छुट्टियों की लिस्ट
सर्वे से पूर्वानुमान लगया जाता कि देश में रहेगी मंदी या तेजी
इकोनॉमिक सर्वे में ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था का पूर्वानुमान लगाया जाता है. बल्कि यह भी अनुमान लगाया जाता है कि पिछले साल के आधार पर क्या महंगा होगा और क्या सस्ता हो सकता है. जैसे राजकोष, ब्रॉड प्रोस्पेक्ट, प्रोडक्ट, महंगाई दर के साथ-साथ अर्थव्यवस्था से जुड़ी देश की सभी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी इकोनॉमिक सर्वे से मिल जाती है. जिससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में मंदी रहेगी या तेजी. फिर इसी के आधार पर आगे की प्रक्रिया होती है.सीईए की गैर-मौजूदगी में तैयार किया गया इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है. लेकिन इस बार इकोनॉमिक सर्वे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) ने तैयार नहीं किया है. इस बार का प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर और अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया. इसे भी पढ़े : अधिवक्ता">https://lagatar.in/advocate-hemant-sikarwar-attack-case-cctv-footage-revealed-khan-family-was-assaulted-over-land-dispute/">अधिवक्ताहेमंत सिकरवार हमला मामला : सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा, जमीन विवाद को लेकर खान परिवार के साथ हुई थी मारपीट

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