Faisal Anurag अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग एक बार फिर जोर-शोर से उठी है. टेनी नरेंद्र मोदी सरकार में गृह राज्यमंत्री हैं, जिनके पुत्र 3 अक्तूबर को लखीमपुर खिरी में पांच किसानों को थार जीप से कुचल कर मार देने के आरोप में जेल में हैं. एसआईटी की जांच रिपार्ट के सार्वजनिक होते ही विपक्ष ने मोरचा संभाल लिया है. लोकसभा में राहुल गांधी और राज्यसभा में सुष्मिता देब ने कार्यस्थगन नोटिस दे कर लखीमपुर खिरी जनसंहार के एक साजिशकर्ता माने गये टेनी की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग की है. दोनों सांसदों ने सदन की कर्रवाई रोक कर बहस कराने की मांग की है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के प्रस्ताव में कहा गया है- ‘उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि लखीमपुर में किसानों की हत्या सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी, न कि गलती से हुई घटना. एसआईटी ने सिफारिश की है कि सभी आरोपियों पर जल्द कार्रवाई की जाए.’ एसआईटी ने इरादनतन हत्या के मामले में पहले अभियुक्त अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र मोनू को बताया है. इस संदर्भ में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि लखीमपुर खिरी का इरादतन हत्याकांड एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. और इस साजिश में मंत्री के अलावे भी कुछ बड़े नाम शामिल हैं. इस जनसंहार को ले कर सुप्रीम कोर्ट भी निगरानी कर रहा है और उसने कई बार यूपी सरकार और पुलिस को ले कर टिप्पणी की है. हालांकि किसान आंदोलन स्थगित कर किसान वापस जा चुके हैं, लेकिन लखीमपुर खिरी जनसंहार की आंच धधक ही रही है. सवाल पूछा जा रहा है कि अनेक सबूतों के बावजूद अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से हटाने से सरकार क्यों हिचक रही है. क्या यूपी चुनाव में ब्राह्मण वोटों को ध्यान में रख कर केंद्र मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा. किसान नेता सहित अनेक विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि सरकार के प्रभावीशाली विभाग के मंत्री रहते किसानों के साथ न्याय किस तरह संभव है. क्या राजनीतिक संरक्षण के कारण इस पूरे हत्याकांड के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा रहा. यह तो यूपी पुलिस की एसआईटी ही है जिसने यूपी और केंद्र दोनों सरकारों के लिए मुसीबत बढ़ा दी है. सुप्रीम कोर्ट तो कई बार कह चुका है कि वह रिटायर जज से इस हत्याकांड की जांच कराने का कदम भी उठा सकता है. योगी सरकार की समस्या यह है कि वह किसानों की नाराजगी को चुनाव के समय नजरअंदाज नहीं कर सकती. लेकिन केंद्र की रणनीति यह रही है कि उसका कोई मंत्री आरोपों के कारण इस्तीफा नहीं देता. राजनाथ सिंह तो कह ही चुके हैं कि यह यूपीए की सरकार नहीं है, जहां मंत्रियों से इस्तीफे लिये जाते रहे हैं. आशंका व्यक्त की जा रही है कि एसआईटी रिपोर्ट के बावजूद मंत्री पुत्र को बचाने के लिए राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल किया जा सकता है. टेनी ने लखीमपुर में ही घटना के पांच दिनों पहले सबक सिखाने और इलाके से भगा देने की चेतावनी सार्वजनिक मंच से दी थी. लखीमपुर खिरी के किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क, जो जीप से कुचल कर बुरी तरह घायल हो गये थे, ने भी यही आशंका दुहरायी है कि जांच को प्रभावित करने और दोषियों को बचाने की साजिश जारी है. विर्क का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के कहे जाने के बाद भी इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाहों की सुरक्षा का प्रबंध यूपी सरकार ने नहीं किया है. यूपी चुनाव के लिए धर्म की राजनीति का भी इस्तेमाल मोदी- योगी की जोड़ी कर रही है. राहुल गांधी ने इसी का उल्लेख करते हुए कहा ट्वीट किया है- ` धर्म की राजनीति करते हो, आज राजनीति का धर्म निभाओ, यूपी में गये ही हो, तो मारे गये किसानों के परिवारों से मिलकर आओ. अपने मंत्री को बर्खास्त ना करना अन्याय है, अधर्म है!` नरेंद्र मोदी के आठ साल के शासनकाल में अजय मिश्र टेनी का ममला सरकार के लिए परेशानी पैदा करने वाला है. यूपी, पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में किसानों के आक्रोश का समाना भाजपा को इस कारण करना पड़ सकता है. योगेंद्र यादव ने इसका संकेत भी दे दिया है. उन्होंने कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा का मिशन यूपी कार्यक्रम वापस नहीं लिया गया है. किसान यूपी में इस सवाल को अपने प्रचार अभियान के माध्यम से आम किसानों तक ले जाने के लिए तैयार हैं. किसानों को यह बात समझ में नहीं आ रही कि एक पुष्ट आरोप ओर एफआईआर में नाम के बावजूद अजय मिश्र को बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें – JPSC">https://lagatar.in/jpsc-candidates-protest-in-morhabadi-adamant-on-the-demand-of-table-talk-from-cm/">JPSC
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गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बचाने का प्रयास क्यों कर रही है मोदी सरकार

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