Faisal Anurag
हरिद्वार के धर्मसंसद में जिस तरह हेट स्पीच का खुलेआम इस्तेमाल हुआ, उसके तीन दिनों के बाद उत्तराखंड पुलिस की नींद तो खुली है. लेकिन सवाल यह है कि क्या जिन लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की खुलकर वकालत की है. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी या फिर चुनावी तैयारी के रूप में इसका इस्तेमाल होगा. दिल्ली चुनाव के पहले भी धर्म संसद के नाम पर हिंसक बदला संबंधी हेट स्पीच दिए गए थे. उसकी परिणति दिल्ली दंगे के रूप में हुई थी. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव के ठीक पहले धर्मसंसद के बहाने खुल कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू किया गया है. इस धर्म संसद के वायरल वीडियो में देखा-सुना जा सकता है कि किस तरह हिंसा की वकालत की जा रही है. यहां तक कहा गया है कि वक्त आ गया है कि बच्चों को किताबों को परे रख कर हथियार उठा लेना चाहिए. यही नहीं संविधान को बदल देने की बात भी इस संसद में की गयी. यह केवल चुनावों को ध्यान में रखकर नहीं कहा गया है बल्कि इसका एक मकसद है. मकसद तो स्पष्ट यही दिख रहा है कि इस देश में ऐसी ताकतें मजबूती से अपनी बात कह रही है, जो इस देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को तोड़ना चाहती हैं. जिन लोगों ने इस धर्म संसद में हेट स्पीच दिया, उन्हें सत्ता के संरक्षण की बाते कही जा रही हैं. खुद को कट्टर हिंदुत्ववादी कहने वाले यति नरसिम्हानंद का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वो मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की अपील कर रहे हैं और हथियार उठाने की वकालत कर रहे हैं. हेट स्पीच देने वालों के फोटो भाजपा के बड़े नेताओं और सत्ता में बैठे नेताओं के साथ हैं.
इस हेट स्पीच के खिलाफ मीडिया में जहां एक तरह की चुप्पी है, वहीं सेना के पूर्व प्रमुखों ने कड़ा स्टैंड लिया है. पूर्व एडमिरल अरूण प्रकाश ने ट्वीटर पर धर्मसंसद का एक वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है : क्या हम सांप्रदायिक ख़ून-ख़राबा चाहते हैं? एडमिरल अरूण प्रकाश 1971 के जंग के नायक रहे हैं. अवकाश प्राप्त जनरल वेद प्रकाश मलिक ने एडमिरल अरूण प्रकाश से सहमति जतायी है और रीट्वीट कर लिखा है : सहमत, इस तरह के भाषण सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. सिविल प्रशासन द्वारा आवश्यक कार्रवाई की उम्मीद है. जनरल मलिक कारगिल युद्ध के नायक रहे हैं. इसके साथ ही रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने भी ट्वीट किया है: एकदम निंदनीय. अगर सरकार इस नफरत फैलाने वाले पर अंकुश नहीं लगाती है, तो यह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है.
इस धर्म संसद में भाजपा के नेता अश्विन उपाध्याय भी थे, जिन्हें कुछ ही समय पहले दिल्ली जंतरमंतर पर हेट स्पीच के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
हालांकि उन्हें केवल तीन दिनों के भीतर ही जमानत मिल गयी थी. इस धर्म संसद में निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा आक्रमक स्पीच दिया. यह वही महिला हैं, जिसने 2 अक्तूबर 2019 के दिन गांधी के पुतले पर नकली पिस्तोल से गोली चलाने का ड्रामा किया था और गोडसे की प्रशंसा की थी. एनडीटीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में वे अब भी हेट स्पीच को सही ठहरा रही हैं और संविधान के खिलाफ बोलते हुए गोडसे की राह चलने की बात कर रही हैं.
हेट स्पीच, जो कि हरिद्वार धर्म संसद का मुख्य स्वर रहा है, वीडियो क्लिप को ट्वीट करते हुए एडमिरल (रिटायर्ड) अरुण प्रकाश ने लिखा है? ‘इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है? हमारे सैनिक दो मोर्चों पर दुश्मनों का सामना कर रहे हैं? और हम सांप्रदायिक ख़ून-ख़राबा,देश के भीतर उपद्रव और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी झेलना चाहते हैं? क्या यह समझना इतना मुश्किल है? कि राष्ट्रीय समरसता और एकता ख़तरे में पड़ेगी तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी आंच आएगी?
सेना के पूर्व प्रमुखों की टिप्पणियों ने एक तरह से केंद्र और राज्य सरकार पर भी दबाव बना दिया है. उत्तराखंड पुलिस ने इन दबावों के बाद एफआइआर तो दर्ज किया है, लेकिन तत्वरित कार्रवाई से बचती नजर आ रही है. चूंकि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और दोनों ही राज्यों में वोटों को ध्रुवीकृत करने का खेल जारी है. ऐसे में इन धर्म संसद में भाग लेने वाले भी जानते हें कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं.
कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ ने एक जनरल के हवाले से लिखा है : ‘ये नफ़रत के सौदागर धर्मांध हैं और देश की सामाजिक समरसता के लिए खतरा हैं. इन्हें सरकार क्यों नहीं गिरफ़्तार कर रही है. यूएपीए क्यों नहीं लगा रही है और राजद्रोह का क़ानून क्या इनके लिए नहीं है? ‘ रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने ट्वीट कर कहा है, ‘यह बहुत ही घिनौना है? ‘ अवकाश प्राप्त जनरल यश मोर ने पंजाब में लिंचिंग को लेकर ट्वीट में लिखा है,’यह परेशान करने वाला है कि दो लोगों की पंजाब में मजहब के नाम पर हत्या कर दी गई. हम दूसरा पाकिस्तान बन गए हैं. यह नफ़रत बंद होनी चाहिए नहीं तो हम तबाह हो जाएंगे.’
एक सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर राजनैतिक नेताओं को क्या हो गया है कि वे खुल कर न तो पंजाब की लीचिंग पर कुछ बोल रहे हैं और न ही हरिद्वार धर्म संसद से दिए गए भड़काने वाले हेट स्पीच पर. यहां तक मीडिया में टिप्प्णीकारों की खामोशी भी बता रही है कि हालात कितने गंभीर हो चुके हैं.
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