- चुनावी मौसम आते ही अपनी उपलब्धियां गिना रहे जनप्रतिनिधि
- 15 सालों से दो दर्जन से अधिक भवन आधे-अधूरे, ठेकेदार फरार
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : शहर से लेकर गांव तक भ्रष्टाचार चरम पर है. कोई जमीन पर कब्जा कर रहा है, तो कोई सरकारी योजना की लूट की फिराक में है. इस खेल में ठेकेदार, अधिकारी से लेकर क्षेत्रीय नेता तक की संलिप्ता सामने आती रही है. खुद को समाज का मसीहा बताने वाले कई सपेदपोशों के गिरेबां भी भ्रष्टाचार की चादर में लिपट कर दागदार हैं. पैसे के आगे इंसानियत धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही है. क्या अपने और क्या पराये, सभी से धन लूटने के लिए लोग तैयार हैं.
वहीं, कानून का पाठ पढ़ाने वाले अधिकारी भी भ्रष्टाचार के आगे खामोश दिखते हैं. दरअसल, चुनावी मौसम आते ही जनप्रतिनिधि अपने 5 साल के कामकाज का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने में जुटे हैं. सांसद हों या विधायक, सभी आम जनता को बड़ी-बड़ी उपलब्धियां दिखा रहे हैं. हालांकि, उनके अपने ही जिले में सरकारी फंड की हो रही बंदरबांट पर इनकी चुप्पी पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. पिछले 10-15 सालों में कटकमसांडी, दारू सहित जिले भर में 25 ऐसे भवन हैं, जो आज तक अधूरे पड़े हुए हैं. भवन निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये की निकासी कर ली गई और ठेकेदार फरार हो गए. लेकिन इन योजनाओं पर किसी नेता, मंत्री या पदाधिकारी की ध्यान नहीं गई.
अगर ये योजनाएं पूरी हो जाती, तो आज इन भवनों में पठन-पाठन से लेकर अन्य कई लाभ लोगों को मिलते. कई लोगों को रोजगार भी मिलता, लेकिन यह सारी योजनाएं खंडहर में तब्दील हो गई है. यहां तक कि करोड़ों रुपये की जमीन भी बेकार हो गई. ऐसे में सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान हुआ है. फिर भी यहां के क्षेत्रीय नेता आम जनता के बीच झोली भर-भर कर अपनी उपलब्धियां गिनवा रहे हैं. वहीं, आम जनता सवाल कर रही है कि ये योजनाएं तो आम जनता के टैक्स की राशि से चल रही थीं. अगर भवन बनी ही नहीं, तो फिर फंड की निकासी किसलिए की गई. वहीं, सरकार ने भगोड़े ठेकेदारों और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की?
खंडहर में तब्दील होते चले गए आधे-अधूरे भवन
बता दें कि हजारीबाग ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के द्वारा जिले भर में सैकड़ों की संख्या में विभिन्न विभागों के लिए भवन निर्माण का कार्य शुरू कराया गया, जो कि पिछले 15 सालों से अधूरे पड़े हुए हैं. सभी कार्य विभागीय स्तर पर कराए गए थे. वहीं, करोड़ों रुपये का गबन कर इंजीनियर, ठेकेदार फरार हो गए. बेवजह बनाए गए सभी भवन खंडहर में तब्दील हो गए. अब कई ऐसे भवन हैं, जहां आम लोगों ने अपना आशियाना बना लिया है. वहीं, कई भवनों को चोर-उचक्कों ने पुलिस से बचने के लिए अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है.
रघुवर सरकार ने दिये थे जांच करने के आदेश
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इन अधूरे बने हुए भवनों के मामले में संज्ञान लिया था. उन्होंने कई आदेश भी जारी किए थे. जनसंवाद के माध्यम से हजारीबाग में कोई भी नया भवन नहीं बनाने और अधूरे भवन की जांच करने का भी आदेश दिया गया था, लेकिन आज तक उस आदेश का न तो कोई पालन हुआ और ना ही किसी भवन की जांच हुई. वहीं, सरकार बदलते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. बहरहाल, इन भवनों के निर्माण के नाम पर हुई सरकारी राशि की बंदरबाट की कहानी आज भी सरकारी फाइलों के नीचे धूल फांक रही है.
कहां-कहां बने थे करोड़ों रुपये की लागत से भवन
शहर के कुम्हारटोली रोड में अल्पसंख्यक भवन बनाया जा रहा था, जो आज भी अधूरा है. वहीं कटकमसांडी स्टेडियम, कटकमसांडी प्लस टू स्कूल, पिछड़ा वर्ग छात्रावास कटकमसांडी, दारू में अस्पताल, एसपी ऑफिस के पीछे शिशु अस्पताल, हिन्दू हाई स्कूल के पीछे छात्रावास, मटवारी गांधी मैदान पिछड़ा वर्ग बालिका आवास, झुमरा बाजार ब्लॉक भवन के अलावे कई जगहों पर करोड़ों की लागत से भवन बनाए गए थे. सभी काम करोड़ों की लागत से हो रहे थे. लेकिन, काम से अधिक रकम की निकासी कर ठेकेदार फरार हो गए. इधर नेता, मंत्री अपनी उपलब्धियां गिनाते फिर रहे हैं और जनता को बड़ी-बड़ी योजनाओं का सपना दिखा रहे हैं. अब चुनाव में इनकी उपलब्धियों का आकलन कर अपना फैसला सुनाने के लिए जनता ने भी पूरी तैयारी कर रखी है.
जिले में एक सांसद व पांच विधायक, लेकिन सब मौन
हजारीबाग संसदीय सीट से जयंत सिन्हा लगातार दूसरी बार भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गए हैं. इससे पूर्व इनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा भाजपा से कई बार हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वहीं, जयंत सिन्हा पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भी थे. वहीं, विधायकों की बात करें, तो हजारीबाग जिले में कुल पांच विधानसभा सीटें पड़ती हैं. इसमें भाजपा विधायक मनीष जायसवाल लगातार तीसरी बार सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. भाजपा से ही जयप्रकाश भाई पटेल मांडू विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. इससे पहले इनके पिता योगेंद्र साव ने वर्ष 2009 और मां निर्मला देवी ने वर्ष 2014 में बड़कांगांव सीट से चुनाव जीता था. योगेंद्र साव मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला दूसरी बार बरही विधानसभा से विधायक बने हैं. इसके अलावा निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव बरकट्ठा विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं. बहरहाल, एकमात्र सदर विधायक द्वारा इस मामले को सदन में उठाया गया है.
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि
जिले में अधूरे बने हुए भवनों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. आपके माध्यम से ही पता चल रहा है. आप जानकारी दें, निश्चित तौर पर जांच करवाने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
जयंत सिन्हा, सांसद, हजारीबाग
इस मामले को विधानसभा में कई बार उठाया है. विधानसभा की कई समितियों और जिला स्तरीय विभिन्न समितियों के पास भी मामाला रखा गया है. यह एस्टीमेट घोटाला है.
मनीष जायसवाल, विधायक, सदर
अधूरा भवन बनाकर भागने वाले संवेदक पर कार्रवाई होनी चाहिए. विभाग को ऐसे संवेदकों को ब्लैकलिस्टेड कर इनके खिलाफ संबंधित थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करानी चाहिए.
अमित कुमार यादव, विधायक, बरकट्ठा
– अंबा प्रसाद, विधायक, बड़कागांव
– जयप्रकाश भाई पटेल, विधायक, मांडू
– उमाशंकर अकेला, विधायक, बरही