Deepak Ambastha बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाला एक चेहरे के रूप में अपने को पेश करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन लगता है कि कांग्रेस उनकी कोशिश पर ठंडा पानी डालने की व्यवस्था कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ स्थित आवास पर विपक्ष के कुछ प्रमुख नेताओं की मंगलवार की बैठक कम से कम यही संदेश दे रही है. बैठक में एनसीपी के शरद पवार,शिवसेना के संजय रावत समेत टीआर बालू, मलिकार्जुन खडगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल जैसे नेता मौजूद थे. ध्यान रखना होगा कि ममता बनर्जी ने कहा था कि अब यूपीए जैसा कुछ नहीं रहा, उनका यह बयान शरद पवार ,शिवसेना तथा कुछ अन्य नेताओं के साथ मुलाकात के बाद आया था. ममता बनर्जी के इस बयान पर कांग्रेस के कुछ नेताओं की तीखी तो कुछ की संयत प्रतिक्रिया भी आई थी. सोनिया गांधी के आवास पर विपक्ष के कुछ प्रमुख नेताओं की बैठक ने कम से कम एक सवाल तो जरूर खड़ा कर दिया कि क्या ममता बनर्जी का मुख्य विपक्षी चेहरा बनने का सपना सपना ही रह जाएगा ? लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय है पर विपक्ष इस कोशिश में जुट गया है कि भारतीय जनता पार्टी को एकजुट चुनौती पेश की जाए. कांग्रेस के साथ बैठक में शामिल नेताओं के साथ ममता बनर्जी पहले ही बैठक कर चुकी हैं और उत्साह में उन्होंने कुछ ऐसे बयान भी जारी कर दिए थे जो समय की मांग नहीं थे और अब कांग्रेस अपनी धूल झाड़ कर उठने की कोशिश में है,सोनिया गांधी इस मामले में कमान संभाल रही हैं कांग्रेस की यह तरकीब कारगर हो सकती है क्योंकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी में कुछ बड़े फर्क हैं. सोनिया की पहल ममता बनर्जी की कोशिशों में पलीता लगा सकती है. हालांकि बैठक के बाद कांग्रेस ने यह संकेत दे दिया है कि उसे ममता बनर्जी से परहेज नहीं है लेकिन ममता बनर्जी की अब तक की कोशिश और तौर तरीके तो यही कह रहे हैं कि उन्हें कम से कम राहुल गांधी और सोनिया गांधी से कुछ तो परहेज जरूर है. एकजुटता की विपक्ष की कोशिशें फिलहाल समानांतर चलती नजर आती हैं एकजुट नहीं, इसके पीछे भी कारण है कि ऐसा क्यों यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा का परिणाम है. ममता बंगाल विजय से अति उत्साहित हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि यदि उन्होंने विपक्ष को लीड किया तो केंद्र में भाजपा की सरकार को बदला जा सकता है ममता बनर्जी की हार्दिक इच्छा है कि वह राज्य की राजनीति से उठकर केंद्र की राजनीति करें और उन्हें भावी प्रधानमंत्री का चेहरा माना जाए लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस है सोनिया गांधी हैं, राहुल गांधी है इनकी भी यही कोशिश है कि कांग्रेस सत्ता में वापसी करे और गांधी नेहरू परिवार प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विरासत को आगे बढ़ाए. यह देखने योग्य है कि विपक्ष के नेता सोनिया गांधी के साथ तो बैठ रहे हैं उनकी बैठक ममता बनर्जी के साथ भी होती है यह आने वाला वक्त ही तय करेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को यूपीए एकजुट चुनौती देगा या फिर ममता के नेतृत्व में एक तीसरा मोर्चा भी बनेगा या सब अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर चलेंगे? ऐसा होता है तो भाजपा के लिए विपक्ष की चुनौती कहीं आसान हो जाएगी और वह फिर से सत्ता में बनी रह सकती और यह अगर होता है तो आज की लड़ाई आने वाले समय में विपक्ष के बहुत से राजनेताओं के कॅरियर पर राजनीतिक पूर्ण विराम भी साबित हो सकती है. इसे भी पढ़ें-गृह">https://lagatar.in/why-is-the-modi-government-trying-to-save-ajay-mishra-teni-minister-of-state-for-home/">गृह
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क्या ममता का सपना, सपना ही रहेगा

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