Ranchi: राजधानी के 62 साल पुराने अस्पताल सेवा सदन को तोड़ने के आदेश का विरोध शुरू हो गया है. राजनीतिक पार्टियां, समाजसेवी और मारवाड़ी समाज ने नगर निगम से आदेश वापस लेने की मांग की है. इनका कहना है कि जब रांची में अस्पताल नहीं थे, नक्शे का प्रावधान नहीं था, तब से इस अस्पताल ने लाखों जिंदगियां बचाई और आज इसे तोड़ने का फरमान जारी हुआ है. यदि नक्शा इतना जरूरी है तो फिर जमीन पर कब्जा कर बने आलीशान होटलों का नक्शा कैसे बन गया.
जीवनदायी अस्पताल पर यह तुगलकी फरमान क्यों जारी हो गया. नगर निगम के फैसले के खिलाफ रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन ने अग्रसेन भवन में आज शाम 4 बजे बैठक बुलाई है. इस बैठक में सेवा सदन को टूटने से बचाने की रणनीति बनाई जाएगी. उधर नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने भी इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाया है.
नक्शा रेगुलाइज कर अस्पताल को दिया जाए राहत- बाबूलाल मरांडी
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सेवा सदन को तोड़ने के आदेश की खबर हैरान करने वाली है. यह अस्पताल 50 से अधिक वर्षों से लोगों की सेवा करता आ रहा है. इसका रांची समेत पूरे राज्य में चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है. इस मामले में नक्शा को रेगुलराइज़ कर जनहित में अस्पताल को राहत देना चाहिए.
जीवनदायनी अस्पताल पर तुगलकी फरमान क्यों- संजय सेठ
रांची सांसद संजय सेठ ने कहा कि जब रांची में अस्पताल नहीं थे, नक्शे का प्रावधान नहीं था, तब से इस अस्पताल ने लाखों जिंदगियां बचाई और आज इसे तोड़ने का फरमान जारी हुआ है. हुक्मरान बताएं, यदि नक्शा इतना जरूरी है तो फिर जमीन पर कब्जा कर बने आलीशान होटलों का नक्शा कैसे बन गया? जीवनदायनी अस्पताल पर यह तुगलकी फरमान क्यों ?
तोड़ना आसान है, जोड़ना कठिन- महेश पोद्दार
राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि तोड़ना आसान है-जोड़ना कठिन. छः दशक लगे हैं रांची के समाजसेवियों को सेवा सदन को गरीबों को सस्ता-भरोसेमंद इलाज देनेवाले अस्पताल के रूप में स्थापित करने में. और अब एक झटके में तोड़ने का ऑर्डर. उस नगर निगम के द्वारा जो अबतक ढंग की एक डिस्पेंसरी तक अपने दम पर न खड़ा कर सका, न चला पाया.
सेवा सदन तोड़ दो, मंत्री का होटल छोड़ दो- भानु प्रताप शाही
बीजेपी विधायक भानू प्रताप शाही ने कहा है बाह सरकार सेवा सदन अस्पताल तोड़ दो और मंत्री का होटल छोड़ दो.
15 दिन में सेवा सदन तोड़ने का आदेश
यहां बता दें कि नगर आय़ुक्त के कोर्ट ने 15 दिन में नागरमल मोदी सेवा सदन को तोड़ने का आदेश दिया है. साथ ही मालिक पर 5.25 लाख का फाइन भी ठोंका गया है. नगर आयुक्त के कोर्ट ने सुनवाई के दौरान भवन का नक्शा पेश करने को कहा था. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से नक्शा नहीं पेश करने पर इसे तोड़ने का आदेश दिया गया है.
62 साल पहले 5 बेड से शुरु हुआ था अस्पताल
62 साल पहले अपर बाजार में बड़ा तालाब के पास किराये के एक खपरैल मकान में पांच बेड के साथ यह अस्पताल शुरू किया गया था. आज यहां 200 बेड हैं. यह एक सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल की तरह काम कर रहा है. आठ आईसीयू, सीसीयू, एससीयू, आरआईसी और एनआईसीयू हैं. यहां डिजिटल एक्सरे, पैथोलॉजी, डायलिसिस और फिजियोथेरेपी सहित अन्य सुविधाएं हैं. 60 स्पे.शलिस्टऔ डॉक्टर सहित 400 स्थाई और 150 अन्य स्टाफ अपना योगदान दे रहे हैं. गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों का टीकाकरण यहां नि:शुल्क किया जाता है. गरीबी रेखा से नीचे जीवन-बसर कर रहे लोगों, टाना भगतों, मीडिया कर्मियों, पूर्व सैनिकों की चिकित्सा यहां नि:शुल्क की जाती है.
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