Shubham Kishor Ranchi : इस वर्ष 7 जुलाई से रांची के धुर्वा में ऐतिहासिक जगन्नाथ मेला लगने वाला है. झारखंड के विभिन्न विचारधाराओं को जोड़ने का काम किया और 332 वर्ष से झारखंड जीवन चक्र भी इससे जुड़ा रहा है. मंदिर के आस-पास 41.27 एकड़ भूमि में मेले से हर साल करोड़ों का कारोबार होता है. झारखंड समेत आसपास के कई राज्य से कारोबारी यहां आते हैं और मेला में अपनी दुकान लगाते हैं. इन दुकानदारों की वजह से ही मेला की शोभा बढ़ती है. पिछले साल कि तरह इस साल भी मेले का टेंडर जारी किया गया है. इस साल मेला का ठेका लेने के लिए न्यूनतम बोली 31 लाख रुपए से शुरू होगी. सबसे ऊंची बोली लगाने वाले मेला वेंडर को सफल घोषित किया जायेगा. जो वेंडर सफल होगा, वो अपने स्तर से विभिन्न दुकानदारों द्वारा मेला में झूला, दुकान, बाजार लगाने की अनुमति देगा और इसके लिए उनसे तय रकम लिया जाएगा.
पिछले साल 75 लाख की लगी थी सबसे ऊंची बोली

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alt="" width="600" height="400" /> पिछले साल भी टेंडर प्रक्रिया से मेला का ठेका दिया गया था. जिसमें आरएस इंटरप्राइजेज ने 75 लाख की सबसे ऊंची बोली में टेंडर लिया था. जिसके बाद आरएस इंटरप्राइजेज के द्वारा दुकानदारों से मनमाने तरीके से पैसे की वसूली की गई. जिससे दुकानदार नाराज दिखें. दुकानदारों का कहना था कि पहले चंदा के रूप में कुछ रकम ली जाती थी, लेकिन इस साल मोटी रकम वसूली गई. पूरा दिन रात मेहनत करने के बाद भी बचत न के बराबर हुआ. उन्होंने कहा था कि इस तरह की स्थिति रही तो दुकान नहीं लगाएंगे.
पिछले साल 3000 से अधिक दुकान लगा था
पिछले साल 3000 से अधिक दुकान और लगभग 80 झूले लगाए गए थे. इसके अलावा फुटपाथ और फेरिवाले अगल थे. दुकानदारों से उनके दुकान के साइज के अनुसार 2 हजार से 40 हजार रूपये तक की वसूली हुई थी. मौसीबाड़ी क्षेत्र में 1500 से 2000 रुपये रनिंग फिट, मध्य विद्यालय के पीछे फील्ड में 1000 रुपये रनिंग फीट, झूला में परसेंटेज, ठेला वालों से 3000 से 20000 रुपये और फेरी वालों से 50 से 300 रुपये प्रतिदिन तक कि वसूले गए थे.
कॉमर्शियलाइज खत्म कर देगा मेले की रौनक?
मेले की रौनक यहां मिलने वाले पारंपरिक सामान हैं. जो आम तौर पर जल्दी नहीं मिलते हैं. टेंडर होने से वोकल फॉर लोकल पर भी चोट है. इससे मेले में हस्तकरघा, पारंपरिक झारखंड की औषधि और वन उत्पाद, सूप-दौरा, टोकरी और बांस के दुकानों में पिछली बार कमी देखने को मिली थी, क्योंकि उनसे अधिक वसूली की गई थी. पिछले साल कई सामाजिक लोगों ने कहा था कि अगर मेले के इतिहास को बचाना है तो कॉमर्शियलाइजेशन बंद करना होगा. [wpse_comments_template]
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