- 702 अंक लाकर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ
- एक साल की थी, सिर से पिता का साया उठ गया था
- मां वीणा ने खुद पढ़ाई की और दोनों बेटियों को बनाया डॉक्टर
Aakarsh Aniket
Ranchi : NEET (नीट) 2024 में हजारीबाग की हेमा मेहता ने 720 में 702 अंक प्राप्त कर सफलता हासिल की. खुद की मेहनत के साथ-साथ मां वीणा मेहता की हिम्मत से हेमा ने सफलता की इस ऊंचाई को छुआ. हेमा जब एक साल की दुधमुंही बच्ची थी, तभी उसके सिर से पिता का साया उठ गया था. मां के कंधों पर दो बच्चियों की परवरिश की जिम्मेवारी आ गयी. वीणा भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थीं. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारीं. बच्चियों के लालन-पालन के लिए कुछ तो करना था. इसलिए वीणा ने खुद पढ़ाई करने के साथ दोनों बेटियों को भी पढ़ाने की ठानी. ससुरालवालों से ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला, लेकिन पिता बिरजू प्रसाद ने साथ दिया. पिता खुद भी शिक्षक थे. उन्होंने वीणा का हौसला बढ़ाया. दोनों बेटियों को अच्छी शिक्षा मिले, इसलिए वीणा ने भी मेहनत कर पिता की देखरेख में पढ़ाई शुरू की. उसे समाज और ससुरालवालों से ताने भी सुनने पड़े, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारीं. वीणा ने पहले मैट्रिक की परीक्षा पास की, फिर इंटरमीडिएट और स्नातक की पढ़ाई की. फिर आंगनबाड़ी सेविका के रूप में काम कर दोनों बेटियों हेमा और अनुराधा को पढ़ाया.
दोनों बेटियों ने दिखाया जज्बा
वीणा मेहता बताती हैं कि यदि कोई लक्ष्य हासिल करने की ठान ले, तो सफलता कदम चूमती है. समाज का ताना सुना, पर वे मेहनत करती रहीं. दोनों बेटियों को डॉक्टर बनाने का लक्ष्य तय किया. लेकिन इसके लिए खुद भी पढ़ा-लिखा होना जरूरी था. सो उन्होंने भी पढ़ाई शुरू की. खुद पढ़ीं और बेटियों को भी पढ़ाया. कहती हैं कि बेटियों को नाना और ननिहाल से भी पूरा समर्थन मिला. उन्होंने दोनों बेटियों को बचपन में ही बताया दिया था कि वे दोनों को डॉक्टर बनाना चाहती हैं. दोनों बेटियों ने भी मां की इच्छा के अनुरूप लक्ष्य तय करने के लिए नीट क्लाविफाई करने की ठानी और उसके अनुसार ही तैयारी में जुट गयीं. हेमा व अनुराधा को पढ़ाई के सिलसिले में कहीं आना-जाना होता था, तो नाना और मामा का साथ मिलता था.
पांचवीं में थी, तो स्कॉलरशिप मिली, देहरादून से 12वीं की परीक्षा पास की
हेमा बताती हैं कि मां वीणा के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने भी खूब मेहनत की. जब पांचवीं क्लास में थीं, तो स्कॉलरशिप मिली और वे पढ़ाई के लिए देहरादून चलीं गयीं. देहरादून से ही 12वीं की परीक्षा 94 प्रतिशत अंक से पास कर मेडिकल की तैयारी में जुट गयी. बताती हैं कि दीदी अनुराधा मेहता ने 2022 में ही नीट क्वालीफाई कर लिया था. दीदी को रिम्स में दाखिला मिल गया था. इससे उसका भी उत्साह बढ़ा. हेमा बताती हैं कि उसने भी तय किया कि चाहे कुछ भी हो जाये, सरकारी मेडिकल कॉलेज में ही एडमिशन लेना है. इसी सोच के साथ तैयारी की और परिणाम सामने है.
लक्ष्य तय कर आगे बढ़ें, तो सफलता कदम चूमती है
हेमा बताती हैं कि उसकी इस सफलता में गोल इंस्टीट्यूट में मिला पारिवारिक माहौल का बड़ा योगदान है. कहती है कि लक्ष्य तय कर आगे बढ़ें, तो सफलता कदम चूमती है. वैसे गोल इंस्टीट्यूट के शिक्षकों के साथ ही साथ वे अपनी इस सफलता का श्रेय मां वीणा मेहता और नाना बिरजू प्रसाद को भी देती हैं, जिनके संघर्ष की वजह से वह सफल हो सकीं. कहती हैं कि मां है तो हिम्मत है.
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