TPC का रिजनल कमांडर आक्रमण गंझू के पकड़े जाने से टेरर फंडिंग में शामिल कई ट्रांसपोर्टर व कोयला कारोबारी के नाम आ सकते हैं सामने Ranchi : टीपीसी के सेकेंड इन कमान आक्रमण गंझू को चतरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. चतरा पुलिस ने उसे प्रयागराज में उस समय गिरफ्तार किया, जब वो महाकुंभ से स्नान कर अपनी पत्नी और भाई के साथ लौट रहा था. झारखंड पुलिस ने आक्रमण पर 15 लाख और एनआईए ने तीन लाख का इनाम रखा था. आक्रमण के पकड़े जाने से मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग में शामिल कई कंपनियां, कोयला कारोबारी और ट्रांसपोर्टर के नाम सामने आ सकते हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए और झारखंड पुलिस की पूछताछ के दौरान टीपीसी संगठन को लेवी देने वाली कंपनियों और लोगों के नाम के खुलासा होने की उम्मीद है.
आक्रमण एनआईए का भी है मोस्ट वांटेड
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चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र स्थित सिलदाग गांव का रहने वाला टीपीसी उग्रवादी आक्रमण गंझू एनआईए की भी रडार पर था. एनआईए ने उस पर टेरर फंडिंग मामले में आरसी 06/2018, 22/2018 और 23/2018 केस दर्ज किए हैं. आम्रपाली व मगध कोलियरी प्रोजेक्ट में टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड आक्रमण और ब्रजेश गंझू है.
श्याम भोक्ता की गिरफ्तारी के बाद टेरर फंडिंग मामले में हुए कई खुलासे
दरअसल पलामू जिले के पाकी में 23 नवंबर 2017 को उग्रवादी संगठन टीपीसी के श्याम भोक्ता को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद श्याम के पास से पुलिस ने पांच लाख नगद, एक पिस्टल, कारतूस और टीपीसी उग्रवादियों से जुड़े सामान को जब्त किये थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 9 जुलाई 2018 को एनआईए ने इस केस को टेकओवर कर जांच शुरू की थी. जांच के दौरान एनआईए को यह जानकारी मिली कि श्याम सिंह भोक्ता के पास से जो पांच लाख बरामद किये गये थे, वह टेरर फंडिंग में इस्तेमाल के लिए थे. इसके बाद एनआईए ने केस में टीपीसी के सुप्रीमो बृजेश गंजू, आक्रमण, नागेश्वर गंझू और परमजीत को आरोपी बनाया था.
भीखन गंझू ने भी किये थे कई अहम खुलासे
टीपीसी के जोनल कमांडर भीखन गंझू को रांची पुलिस ने मार्च 2022 में गिरफ्तार किया था. पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में भीखन गंझू ने उन लोगों और कंपनियों के नाम के खुलासा किये थे, जो संगठन को लेवी देते हैं. इसके साथ ही भीखन ने पुलिस को यह भी जानकारी दी थी कि संगठन का कौन-कौन आदमी लेवी वसूलता है. लेवी की वसूली चतरा के टंडवा, पिपरवार और रांची के खलारी इलाके से की जाती है. संगठन को प्रति माह करोड़ों रूपये लेवी के रूप में मिलते हैं.
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