
बिना फिजिक्स, कमेस्ट्री, मैथ पढ़ाये, कैलकुलेशन सिखायेंगे ! ये तो हद है

Ajai Shukla अब इंजीनियर बनने के लिये गणित और फिजिक्स की पढ़ाई अनिवार्य नहीं रहेगी? वर्ष 2010 से 2014 के बीच शिक्षा में बहुत सारे प्रयोग किए गए थे. बेस ये था कि बच्चों के ऊपर मानसिक तनाव को कम कैसे किया जाए. इस मानसिक तनाव को कम करने की दिशा में 10th तक नंबर्स की जगह ग्रेडिंग, सिलेबस को कम करना, कुछ चैप्टर्स को यह कहकर के हटा देना कि यह अनुपयुक्त है. जिन लोगों ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक बोर्ड से पढ़ाई की होगी, वो मुझसे सहमत होंगे कि जब स्टेटिक्स, डायनामिक्स जैसे टॉपिक होते थे, तब पास करने वाले स्टूडेंट्स की मानसिक क्षमता भी आज के स्टूडेंट्स से बहुत अधिक होती थी. मैथ्स में हर टॉपिक की अलग-अलग किताबें होती थी, तो मोस्टली किताबें बड़ी सिस्टमेटिक भी होती थीं. यदि आप 89 के पहले की कैलकुलस में इंटीग्रल देखें, तो खुद बखुद समझ आ जाता था कि कैसे स्टूडेंट्स को जीरो से मैक्सिमम हाइट तक ले जाना है. ट्रिगनोमेट्री में एक चैप्टर हुआ करता था, "त्रिभुजों के हल" जिसमें L sin¢ का यूज समझाना होता था. जो भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में बेस की तरह काम करते थे. पर, प्रयोगों की श्रृंखला में, इसे हटा दिया गया. कौन लेते हैं इन प्रयोगों के फैसले? ये कैसे शिक्षाविद हैं ? AICTE ने फिर एक प्रस्ताव रखा है कि इंजीनियरिंग के लिए मैथ्स और फिजिक्स को ऑप्शनल रखा जाएगा. अरे और कितनी रीढ़ तोड़ोगे. विदेशों की यूनिवर्सिटी को लाभ पहुंचाने के लिए. आपको वर्ष 1997 में हुई एक दुर्घटना याद होगी. जिसमें भारतीय मूल की कल्पना चावला की मृत्यु हो गई थी. कारण जिस स्पेस शटल कोलंबिया से उसे वापस आना था, उसका कूलिंग सिस्टम .001 सेकेंड लेट हो गया था. पृथ्वी के वायुमंडल में कोलंबिया के आने से और पूरा शटल जल कर राख हो गया था. डिस्टेंस कैलकुलेशन, ये माननीय लोग बिना मैथ्स के सिखाएंगे. सोनोग्राफी, जो कि मेडिकल टर्म है, लेकिन उसका प्रिंसिपल तो डॉप्लर इफेक्ट है. चलिए फिजिक्स भी हटा दीजिये. पेट्रोल एक दिन खत्म हो जाएगा और इसलिए कोरनॉट के इंजन को ऐसे मोडिफाई करना है कि वो किसी और फ्यूल के कम से कंजंप्शन पर ज्यादा से ज्यादा रिजल्ट दे. पर, आप तो 8 वें के बाद जो गुप्ता ऑटोशॉप पर काम कर रहा है और पास होने के लिए (मैथ्स फिजिक्स नहीं) सरल सब्जेक्ट से कहीं पढ़ रहा है, उसे एडमिशन देंगे, हटा दीजिये फिजिक्स. एक सब्जेक्ट है "ह्यूमैनिटीज." सब्जेक्ट से प्रॉब्लम नही है. लेकिन जिस तरह से ह्यूमैनिटीज में नंबर बांटे जाते हैं, उसको देखकर 12th में इंजीनियरिंग या मेडिकल सब्जेक्ट लेकर पढ़ने वाले कम होते जा रहे हैं. क्यों किया ऐसा हार्वर्ड पास नेताओं ने. क्यों देश की मेधा के साथ खिलवाड़ हो रहा है. डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.