क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि महिला के आबरू से खेलने वाले के समर्थन में महिलाएं ही सड़क पर उतर आयें. जी हां, यह अब संभव है और एक बड़े तबके में स्वीकार्य भी. धर्म और जाति का नशा ऐसा चढ़ा कि भगवा पहनी महिलाएं बलात्कार के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में दिल्ली में सड़क पर उतर आईं. महिलाओं ने सेंगर के पक्ष में नारे लगाये. साथ ही उन महिलाओं से झगड़ती दिखीं, जो सेंगर की सजा निलंबित किये जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं.
सच ही कहा जाता है, अगर बात नशे की हो, आप नशे में हो, तो तर्क काम नहीं करते. चाहे नशा धर्म का ही क्यों ना हो. तब सबसे पहले जो खत्म होता है वह है- आपका स्वाभिमान. पर, यहां फर्क किसे पड़ रहा है, सरकार चुप है. सेंगर को मिली राहत के खिलाफ सड़क पर उतरने वाले कम लोग हैं और बलात्कारी के पक्ष में आने वाले बहुत सारे. नामी-गिरमी. कोई जात के नाम पर तो कोई धर्म के नाम पर.
दिल्ली में सेंगर के समर्थन में उतरी महिलाओं का तर्क सुनने के बाद आप माथा पीट लेंगे. उनका तर्क है कि जब बेंगलुरु के आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष, जो मर गया था, उसकी मौत के आरोपी लड़की को 30 दिनों के भीतर जमानत मिल गई थी, तब कोई क्यों विरोध में नहीं उतरा. अब सेंगर के पक्ष में आये अदालत के फैसले का विरोध क्यों किया जा रहा है. रेप की राजनीति बंद होनी चाहिए.
यह सब देखने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या आज की राजनीति ने इस देश की महिलाओं की चेतना को ही समाप्त कर दिया है? क्या पहले कभी ऐसा देखा-सुना गया कि बलात्कार के दोषी के पक्ष में महिलाएं सड़क पर आ जाए और उसे स्वीकार भी कर लिया जाये.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें


Leave a Comment