अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी
28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी
16 सीटें एसटी महिलाओं के लिए होंगी रिजर्व
15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा
New Delhi : नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश किया. इसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है. इस बिल में लोकसभा और विधानसभा में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी. लोकसभा में इस समय 82 महिला सदस्य हैं. इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें महिलाएं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. सिर्फ लोकसभा और दिल्ली विधानसभा ही नहीं, बल्कि बाकी राज्यों की विधानसभाओं में भी 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा. 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.
एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा
एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा. आरक्षण की ये व्यवस्था आरक्षण के भीतर ही की गई है. यानी लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी. इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी. इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए होंगी. लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हटा देने के बाद लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं. इन सीटों पर ही सामान्य के साथ-साथ ओबीसी के उम्मीदवार भी लड़ते हैं. इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी.
अनारक्षित सीटों पर भी लड़ सकेंगी महिलाएं
जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं होंगी, वहां से भी महिलाएं चुनाव लड़ सकती हैं. इस बिल को इसलिए लाया गया है, ताकि लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सके. बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में 181 सदस्य महिलाएं होंगी. इस समय सिर्फ 82 महिला सांसद ही हैं. लेकिन अगली बार से महिला सांसदों की संख्या कम से कम 181 तो होगी ही.
राज्यसभा में नहीं मिलेगा आरक्षण
राज्यसभा और जिन राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है, वहां महिला आरक्षण लागू नहीं होगा. अगर ये बिल कानून बनता है तो ये सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं पर ही लागू होगा.
परिसीमन के बाद कानून लागू होगा
अगर ये बिल कानून बन भी गया तो भी अभी इसे लागू होने में समय लगेगा. बताया जा रहा है कि परिसीमन के बाद ये कानून लागू होगा. 2026 के बाद देश में लोकसभा सीटों का परिसीमन होना है. इस परिसीमन के बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा. यानी 2024 के लोकसभा चुनाव के समय ये कानून लागू नहीं होगा.
दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी
इस बिल में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के तहत राजधानी दिल्ली की विधानसभा में भी महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है. यानी अब दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी.
अभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15 फीसदी से कम
संसद और अधिकतर विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15 फीसदी से कम है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 19 विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी से भी कम है. मौजूदा लोकसभा में 543 सदस्यों में से महिलाओं की संख्या 78 है, जो 15 फीसदी से भी कम है. राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 फीसदी है. कई विधानसभाओं में महिलाओं की भीगीदारी 10 फीसदी से कम है. जिन विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से अधिक है, उनमें बिहार (10.70 फीसदी), छत्तीसगढ़ (14.44 फीसदी), हरियाणा (10 फीसदी), झारखंड (12.35 फीसदी), पंजाब (11.11 फीसदी), राजस्थान (12 फीसदी), उत्तराखंड (11.43 फीसदी), उत्तर प्रदेश (11.66 फीसदी), पश्चिम बंगाल (13.70 फीसदी) और दिल्ली (11.43 फीसदी) है. गुजरात विधानसभा में 8.2 फीसदी महिला विधायक हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सिर्फ एक ही महिला विधायक हैं.
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