Ranchi: रेल कर्मियों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जोर पकड़ने लगी है. अब तक यहां 140 अधिक कर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इसमें अब तक 6 कर्मियों की मौत हो चुकी है. रेलवे अस्पताल में इलाज की व्यवस्था मुकम्मल नहीं है. यहां आइसोलेशन वार्ड में रोगियों को ऑक्सीजन दी जा रही है. जबकि गंभीर मरीजों के लिए निजी अस्पतालों ने दरवाजे बंद कर लिए हैं. इससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है.
कर्मियों के अनुसार ऐसी स्थिति में रेल मंडल ने भी प्रयास करना छोड़ दिया है. रेलवे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में कर्मियों की इलाज की जा रही है. यहां भी उन्हें केवल ऑक्सीजन की सुविधा मिल रही है. यह भी मंडल अधिकारियों की कृपा से मिल रही है.
कई संदिग्धों की अबतक नहीं आयी जांच रिपोर्ट
रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार संक्रमित कर्मचारियों की संख्या इससे कहीं अधिक है. कई लोगों की जांच रिपोर्ट आई ही नहीं है. इस कारण अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. घर के परिजनों में भी दहशत का माहौल है.
फरवरी महीने में ऑफिस सुपरीटेंडेंट सतीश कुमार का निधन हो गया था. इसके बाद हाल में पांच और रेल कर्मियों की कोरोना की वजह से जान चली गई. इसमें गुड्स ट्रेन के गार्ड अशोक कुमार शर्मा, प्वाइंट्स मैन गौरी शंकर, केटी राव, अनुज गगरई, जेबी तिर्की की मौत हो चुकी है. कई संक्रमित रेल कर्मियों की हालत गंभीर है. डीआरएम ऑफिस से लेकर रेल कॉलोनी तक लोग संक्रमण से भयभीत हैं. इससे भी ज्यादा उन्हें रेलवे की व्यवस्था से निराशा हुई है.
हालांकि रेल अधिकारी नीरज कुमार कहते हैं कि सभी संक्रमित रेल कर्मियों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है. जहां भी हो जैसे भी हो उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
ऐसे में नाम ना लिखने की शर्त पर एक रेलकर्मी ने बताया कि ऐसे में व्यवस्था क्या होगी जब बुरे वक्त में निजी अस्पतालों ने इलाज से पल्ला झाड़ लिया है. रेल कर्मियों के इलाज के लिए रेल मंडल रांची ने 11 अस्पताल से टाईअप किया है. लेकिन संकट की इस घड़ी में इन सभी निजी अस्पतालों ने बकाया राशि नहीं मिलने के कारण इलाज बंद कर दिया है.