alt="" width="600" height="400" /> डॉक्टर अपेक्षा पाठक ने बताया कि, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह हैं कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के बारे में जागरुकता बढ़ाना और ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों और व्यक्तियों के प्रति समाज में संवेदनशीलता और स्वीकृति को बढ़ावा देना है. ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, बात करने की प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है.डॉक्टर अपेक्षा ने बताया कि झारखंड में 75 में से एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार हैं.
ऑटिज़्म पीड़ित बच्चे भी समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा: डॉक्टर
डॉक्टर अपेक्षा पाठक ने कहा कि एकल परिवारों ने कई बीमारियों को जन्म दिया है. ऑटिज्म भी इसी से निकलकर आयी एक बीमारी है. उन्होंने कहा कि ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चे भी समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं उन्हें समझें और स्वीकार करें. ऑटिज़्म का मतलब यह नहीं कि वे अक्षम हैं, बल्कि इसका मतलब है कि वे दुनिया को अलग तरीके से देखते हैं. डॉक्टर अपेक्षा ने कहा कि हमारे रांची सेंटर में 40 ऐसे बच्चों का इलाज चल रहा है.जानें, कैसे करें ऑटिज्म की पहचान
डॉक्टर अपेक्षा पाठक ने बताया कि बच्चों में उम्र के हिसाब से अगर मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं दिखे, बच्चा पलटना और चलना नहीं सीखे, समझ में कमी दिखे, बोल नहीं पाये या बोलने में स्पष्टता नहीं दिखे, तो अभिभावक सतर्क हो जायें. ऐसी समस्या को देखते हुए बच्चों के डॉक्टर से मिलें. डॉक्टर को एक-एक समस्या बतायें. ऑटिज्म के इलाज में पूरी टीम काम करती है. इसमें शिशु रोग विशेषज्ञ, इएनटी, हड्डी के डॉक्टर व शिशु न्यूरोलॉजिस्ट इलाज करते हैं. इस स्थिति में बच्चे को समय पर डॉक्टर के पास लाना अहम होता है. जितनी जल्दी बच्चे का इलाज शुरू होगा, समस्या उतनी ही जल्दी खत्म होगी. इसे भी पढ़ें : EXCLUSIVE:">https://lagatar.in/officials-received-jewelry-iphones-and-macbooks-as-gifts-from-the-money-from-the-drinking-water-scam/">EXCLUSIVE:पेयजल घोटाले की रकम से अफसरों ने उपहार के रूप में लिये जेवर, आइफोन और मैकबुक
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