Saurav Shukla
Ranchi : कोरोना की इस महामारी में जब अपनों ने साथ छोड़ दिया ऐसी परिस्थिति में नर्से मरीजों की सेवा में दिन-रात जुटी हुई है. मरीजों की सेवा करते हुए खुद संक्रमित हुई. कोरोना मात देकर एक बार फिर योद्धा की तरह डटकर मैदान में काम कर रही हैं. वो ऐसा इसलिए कर रही है ताकि कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाई जा सके. आज विश्व नर्सिंग दिवस है. ऐसे में हमने कई नर्सों से बात की है जिन्होंने कोरोना को हराया है.
बेटी कोरोना से लड़ रही है और मां कर रही है कोविड वार्ड में ड्यूटी
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नर्सेज डे पर सीओटी की सिस्टर इंचार्ज मेजरिंग लकड़ा कोविड ड्यूटी कर रही हैं. इनका कहना है कि परमेश्वर ने हमें इंसान के साथ-साथ नर्स बनाया है. ऐसे समय पर हम प्रेम भाव के साथ मरीजों की सेवा करते हैं. सेवा के दौरान मैं, मेरे बच्चे सभी पॉजिटिव हुए. हम सब तो ठीक हो गए पर मेरी बेटी काफी गंभीर हो गई थी. अभी उसके हालात में सुधार है. पर हॉस्पिटल में एडमिट है. ऐसे समय मे उसकी सेवा में लगे डॉक्टर और दूसरे नर्सों को मैं इसके लिए धन्यवाद देती हूं.
पति कोरोना संक्रमित हालात गंभीर, लेकिन ड्यूटी में तैनात
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इवन जेनिस्ता एक्का भी रिम्स के कोविड वार्ड में लगातार ड्यूटी कर रहीं है. नर्सेज डे के अवसर पर उनका कहना है कि हम नर्स बने हैं. मरीजों की सेवा करना हमें अच्छा लगता है. कोविड के बाद जब भी कोई ठीक होकर वापस लौटता है तब बहुत खुशी होती है. लेकिन जब किसी की मौत हो जाती है तो इसका दुख भी होता. उन्होंने कहा कि मृत्यु ऊपर वाले के हाथ में है. हमारा काम है सेवा करना और हमसे जितना हो रहा है हम मरीजों की सेवा कर रहे हैं.
ड्यूटी के दौरान मैं, मेरे दो बच्चे और मेरे पति सभी बीते 17 अप्रैल को संक्रमित हुए थे. होम आइसोलेशन के दौरान मैं और मेरे बच्चे ठीक हो गए. पर मेरे पति अभी भी गंभीर है. वह रिम्स के न्यू ट्रामा सेंटर में भर्ती है. मुझे उम्मीद है कि जल्द ही मेरे पति बीमारी से लड़ स्वस्थ हो जाएंगे. इसके साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि इलाज करवा रहे सभी लोग जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए.
महामारी में सेवा करना हमारे लिए सौभाग्य की बात
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कोविड के पहले लहर से लगातार युद्ध मे तैनात बतौर एक योद्धा के तरह रिम्स में सिस्टर रामरेखा कोविड ड्यूटी कर रहीं है. नर्सेज डे के विशेष अवसर पर उनका कहना है कि रिम्स में हर वर्ष बड़ी खुशी के साथ नर्सेज डे मनाया जाता था. पर कोविड के कारण पिछले वर्ष भी इसे नहीं मनाया जा सका था. आज के दिन मेरा कहना है कि एक नर्स की पहचान उसकी सेवा से की जाती है. और हमें नर्स होने पर काफी खुशी है. क्योंकि हमने पूरे कोविड में पूरी मन से सेवा दी है. रिम्स में फिलहाल कोविड का इलाज 22 अलग-अलग वार्ड में किया जा रहा है. हमें काफी गर्व है कि हम इस संस्थान का हिस्सा है और हम लगातार इस महामारी के समय अपनी सेवा दे रहे हैं. जिनकी याद में यह दिन मनाया जाता है, फ्लोरेंस नाइटेंगल उन्हें याद करते हुए हम मरीजों की सेवा में हमेशा लगे रहेंगे.
मरीजों की सेवा के साथ मेंटल सपोर्ट भी करती है प्रीति
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पीएसएम डिपार्टमेंट की नर्स प्रीति कुमारी सिन्हा का कहना है कि नर्से होने के नाते हम हर दिन अपनी सेवा दे रहे हैं. पर जब किसी मरीज को हम बचा नहीं पाते तो काफी दुख होता है. सेवा के दौरान हम केवल मरीजों की देखभाल ही नहीं करते बल्कि उन्हें ऐसे समय में मेंटल सपोर्ट भी देने की कोशिश करते हैं. जब कोई मरीज ठीक होकर गाड़ी में बैठकर जाता है तो हमें अंदर से काफी खुशी होती है. पर वहीं अगर कोई मरीज के परिजन यहां सामने बैठ कर रोते हैं तो हमारा मन भी अंदर से बहुत रोता है. सेवा करते हुए मैं भी पॉजिटिव हुई. ठीक होने के बाद मैं फिर ड्यूटी पर हूं क्योंकि मेरा मानना है कि जिस जगह से हमें रोटी मिलती है उस जगह पर मुझे सेवा देना गर्व की बात है.