Lagatar Desk : शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. इसे महाष्टमी भी कहा जाता है. मिथिला पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि सोमवार दोपहर 12:37 बजे ही शुरू हो गई है. यह आज मंगलवार दोपहर 1:54 बजे तक रहेगी. इसके बाद नवमी तिथि चढ़ जाएगी.
महाष्टमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व
महाष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि माता महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सौभाग्य, सुख-समृद्धि तथा शांति की प्राप्ति होती है. अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसमें नौ कन्याओं और भैरव बाबा की पूजा कर उन्हें भोजन कराया जाता है.
ऐसे करें महागौरी की आराधना
सुबह स्नान के बाद भक्त मां महागौरी का ध्यान करते हैं. पूजा में मां को सफेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह उनका प्रिय रंग है. भक्त फूल, मिष्ठान, फल और रोली-कुमकुम अर्पित कर मां की आरती उतारते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं.
महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत गौर वर्ण और मनमोहक है. उनकी चार भुजाएं हैं. दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और त्रिशूल, बाएं हाथ में डमरू और शांत मुद्रा में है. उनका वाहन बैल है.
नारियल का भोग प्रिय
भक्तों को माता को नारियल और पीले-सफेद फूल अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि नारियल का भोग लगाने से माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और आपकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं. अष्टमी के दिन गुलाबी वस्त्र पहनकर पूजा करने और मां को रात की रानी के फूल अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
राहु के दुष्प्रभाव होते हैं दूर
ज्योतिष मान्यता के अनुसार, राहु ग्रह पर मां महागौरी का आधिपत्य रहता है. इसीलिए उनकी पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं. विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है. परिवार में शांति और समृद्धि भी बढ़ती है.
मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी.हजारों वर्षों तक तप के कारण उनका शरीर काला पड़ गया. जब भगवान शिव ने उनकी तपस्या स्वीकार कर उन्हें पत्नी रूप में अपनाया, तब गंगा के पवित्र जल से उनका शरीर उज्ज्वल और कांतिमय हो गया. तभी से उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है.
महागौरी के मंत्र
- “सर्वमंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।
- “श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
- “या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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