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गिरिडीह के ओझाडीह में 100 साल से अधि‍क समय से हो रही मां बूढ़ेश्वरी की पूजा

Giridih_: बेंगाबाद प्रखंड के ओझाडीह में फाल्‍गुन शुक्‍ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि‍ को हर साल मेला लगता है और श्रद़धालु मां बूढ़ेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं. यह परंपरा पिछले 100 से भी अधकि समय से चली आ रही है. संतान प्राप्ति की कामना लेकर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं और मां के चरणों में शीश नवाकर आशीर्वाद लेते हैं. इस बार यह पूजा 16 मार्च को होगी. पूजा समिति की ओर से इसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं. करीब 100 साल पहले गांव के खोशाल सिंह ने यहां मां बूढ़ेश्वरी की पूजा की थी. ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा से प्रसन्‍न होकर मां ने उन्‍हें आशीर्वाद दिया था. मां की प्रेरणा से उन्‍होंने गांव में बूढ़ेश्वरी मंदिर की स्थापना की और पूजा शुरू की. तब से प्रत्येक वर्ष फाल्गुन शुक्‍ल पक्ष त्रयोदशी तिथि‍ को यहां पूजा होती है. खोशाल सिंह ने एक झोपड़ीनुमा कमरे में मां की पूजा शुरू की थी. अब वहां भव्य मंदिर है. त्रयोदशी तिथि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को नहीं होने पर पूजा की तिथि में बदलाव किया जाता है. इस वि‍शेष अवसर पर यहां पूजा के लि‍ए झारखंड के अलावा बिहार व पश्‍चि‍म बंगाल से भी श्रद़धालु पहुंचते हैं. संतान की मनोकामना पूर्ण होने पर अगले साल मंदिर में बकरे की बलि चढ़ाते हैं. आयोजन में खोशाल सिंह के परिवार के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. पूजा समिति के सदस्य ओझाडीह गांव निवासी बासुदेव नारायण सिंह ने बताया कि पूजा में गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज, जामताड़ा, दुमका जिले के श्रद्धालु आते हैं. आयोजन को सफल बनाने में बीरेंद्र सिंह, बालेश्वर सिंह, डीली सिंह, बुंदलाल सिंह, मुरलीधर सिंह, फाल्गुनी सिंह, सुनील सिंह सक्रिय रहते हैं. यह भी पढ़ें :">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=267590&action=edit">

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