Girish Malviya
सिर्फ एक ये आंकड़ा ही आप ठीक से समझ ले तो आपको समझ आ जाएगा कि देश को कौन डुबो रहा है. मोदी जी के 10 साल के कार्यकाल में कॉमर्शियल बैंकों द्वारा राइट ऑफ (बट्टे खाते) में डाली गई रकम कुल 16 लाख 35 हजार करोड़ है. जबकि मनमोहन सरकार के 10 सालों में राइट ऑफ की जाने वाली रकम कुल मिलाकर मात्र 2 लाख 20 हजार करोड़ ही थी. जी हां, इतना बड़ा अंतर अब आप समझ गए होंगे कि देश को कौन डुबो रहा है?
एक बात बताइए कि ये किसका पैसा है, जो बड़े उद्योगपतियों को कर्जे के रूप में दिया जाता है और फिर राइट ऑफ के बहाने माफ कर दिया जाता है? दरअसल, तेल तिल्ली से ही निकलता है, यह हमारे आपके खून पसीने की कमाई है, जिसे पेट्रोल डीजल पर टैक्स बढ़ा-बढ़ाकर वसूला जाता है और एक दिन सरकार सदन में कहती है कि वो पैसे तो आप भूल जाइए वह तो राइट ऑफ कर दिया गया है.
दो दिन पहले लोकसभा में सरकार से बैड लोन राइट ऑफ करने को लेकर सवाल पूछा गया. अब सवाल पूछा है तो जवाब तो देना पड़ेगा. वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वित्तीय वर्षों और वर्तमान वित्तीय वर्ष (30 सितंबर 2025) में PSBs ने कुल 6,15,647 करोड़ की ऋण राशि राइट ऑफ की है. आपकी तसल्ली के लिए बता देते हैं कि मोदी जी ने किस तरह से साल दर साल ये रकम राइट ऑफ की है.
| वित्तीय वर्ष | राइट ऑफ रकम (करोड़ में) |
| 2014-15 | 58,786 |
| 2015-16 | 70,413 |
| 2016-17 | 1,08,373 |
| 2017-18 | 1,61,328 |
| 2018-19 | 2,36,265 |
| 2019-20 | 2,34,170 |
| 2020-21 | 2,04,272 |
| 2021-22 | 1,75,178 |
| 2022-23 | 2,16,324 |
| 2023-24 | 1,70,270 |
| कुल | 16.35 लाख करोड़ |
अब अगर आपने पूछ लिया कि मोदी जी ये तो बता दीजिए कि किस-किस उद्योगपति का कितना-कितना लोन राइट ऑफ किया है, तो वो बिल्कुल भी नहीं बताएंगे आपको.. सिबिल खराब हो जाएगा न बेचारों का.
डिस्क्लेमर : ये लेख लेखक के सोशल मीडिया से सभार लिया गया है और ये इनके निजी विचार हैं
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