TamilNadu : तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों की पिटाई का फर्जी वीडियो वायरल करने मामले में गिरफ्तार यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. मनीष कश्यप के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही तमिलनाडु की मुदैरा कोर्ट ने मनीष कश्यप की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है. अब उन्हें 19 अप्रैल तक जेल में ही रहना पड़ेगा. (पढ़ें, निलंबित IAS पूजा सिंघल को सुप्रीम कोर्ट से मिली एक सप्ताह की अंतरिम बेल, 13 अप्रैल को सुनवाई)
मनीश कश्यप ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
बता दें कि मुदैरा कोर्ट ने इससे पहले मनीष कश्यप को तीन दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा था. रिमांड में लेने के बाद तमिलनाडु पुलिस ने मनीश कश्यप से कड़ी पूछताछ की थी. इसको लेकर उसने 5 अप्रैल बुधवार को उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मनीष कश्यप ने दायर याचिका में अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ क्लब करने की मांग की थी. इस मामले में अभी सुनवाई होनी है.
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राष्ट्रीय सुरक्षा कानून क्या है
बता दें किराष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. 23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी के शासनकाल में इस कानून को बनाया गया था. यह कानून देश को सुरक्षा प्रदान करने और सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. इस कानून का इस्तेमाल पुलिस कमिश्नर, डीएम या राज्य सरकार कर सकती है.
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राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत क्या लिया जा सकता है एक्शन?
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 (NSA) के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि एनएसए के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिये गये व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किये बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता ह. लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है.
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