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7 जिलों में पिछड़े को आरक्षण शून्य, सदन में भी उठा मामला

कार्मिक विभाग ने रविवार को जारी किया था आरक्षण रोस्टर का संकल्प झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो ने मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष सहित प्रदेश के दिग्गज नेताओं को लिखा पत्र Ranchi : झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा जारी आरक्षण रोस्टर पर झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो ने सवाल उठाया है. उन्होंने इसमें गड़बड़ी गिनाते हुए सरकार से संज्ञान लेने की मांग की है. उनका कहना है कि जारी आरक्षण रोस्टर में पिछड़े वर्ग को आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं दिया गया है. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को जो आरक्षण दिया गया है, वह उनकी आबादी के अनुपात से अधिक है. ऐसा झारखंड के 7 जिलों में हुआ है. सुनील कुमार महतो ने कहा कि झारखंड के सभी जिलों में होने वाले नियुक्तियों में जिलावार आरक्षण तय कर दिया गया है. इसके लिए कार्मिक विभाग ने रविवार को आरक्षण रोस्टर का संकल्प जारी कर दिया है. रोस्टर में जिलावार अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी), अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), पिछड़ा वर्ग (बीसी), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को आरक्षण दिया गया है. लेकिन राज्य के सात ऐसे जिले हैं, जहां ओबीसी वर्ग को कोई भी आरक्षण नहीं मिला है. वहीं वैसे जिलों में जहां कुल सवर्ण आबादी 5.54 प्रतिशत है, वहां भी उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण सरकार ने दी है और उन जिलों में ईबीसी और बीसी का आरक्षण शून्य कर दिया गया है. इसे भी पढ़ें : हजारीबाग">https://lagatar.in/hazaribagh-residents-of-the-city-boiled-against-the-administration-took-out-a-procession-raised-slogans-sat-on-a-dharna/">हजारीबाग

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इसे लेकर सुनील कुमार महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भाजपा नेता व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सहित प्रदेश के दिग्गज नेताओं को पत्र लिखा है. जिन जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं मिला है, उसमें गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, खूंटी, लातेहार, पश्चिम सिंहभूम और दुमका शामिल है. पत्र की प्रतिलिपि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, सभी सांसद, विधायकों को भी दी गई है.

पिछड़े को आबादी के अनुपात में नहीं दिया गया है आरक्षण

शुभम संदेश से बातचीत में अधिवक्ता सुनील कुमार महतो ने कहा कि आरक्षण रोस्टर में बहुत झोल है. पिछड़े को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं दिया गया है. वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को आबादी के अनुपात में ज्यादा आरक्षण दे दिया गया है. इससे पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सरकारी सेवाओं में आने के अवसर सीमित होते जा रहे हैं. ऐसे में जिलावार नियुक्ति प्रक्रिया (जो जल्द शुरू होने की संभावना है) में पिछड़े वर्ग अपनी हिस्सेदारी से वंचित रह जाएंगे. सुनील कुमार महतो ने इसपर संज्ञान लेने की मांग की है. राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़े का जिक्र करते हुए सुनील कुमार महतो ने कहा जिन जिलों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की आबादी कम है, वहां भी उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. यह आरक्षण पिछड़े वर्ग के आरक्षण को काट कर दी गई है.

जिला कुल सवर्ण आबादी (प्रतिशत में) ईडब्ल्यूएस का आरक्षण

  • प. सिंहभूम 8.77 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • लोहरदगा 9.09 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • सिमडेगा 5.54 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • गुमला 7.24 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • खूंटी 6.44 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • लातेहार 9.55 प्रतिशत 10 प्रतिशत
  • दुमका 6.34 प्रतिशत 10 प्रतिशत

खूंटी सहित राज्य के कई जिलों में पिछड़ों को आरक्षण नहीं : नीलकंठ

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने सूचना के तहत बताया कि मीडिया में आज जिला स्तरीय आरक्षण रोस्टर का प्रकाशन हुआ है. जिसमें पांच-छह जिले ऐसे हैं, जहां एक वर्ग को शून्य कर दिया गया है. कहा कि खूंटी, सिमडेगा सहित पांच जिले ऐसे हैं, जहां ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया गया है. उन्होंने जानना चाहा कि क्या इन जिलों में ओबीसी नहीं हैं. उन्होंने मांग की है कि इन जिलों में भी ओबीसी को आरक्षण की व्यवस्था की जाए. इसे भी पढ़ें : हजारीबाग">https://lagatar.in/hazaribagh-ban-on-playing-dj-in-ram-navami-continues-prohibitory-orders-will-remain-in-force/">हजारीबाग

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