Ranchi : स्व. अफरोज इमाम की बरसी के अवसर पर जिक्र आले मोहम्मद का आयोजन किया गया. इस मजलिस में सैयद अता इमाम रिजवी ने मर्सिया पेश किया और अमूद अब्बास, कासिम अली, यूनुस, राजा हसनैन ने कलाम पेश किया. इस मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद तहसील ने कहा कि हम सबको अपने व्यवहार और करतब से जमाने में पहचान बनानी चाहिए. इस्लाम मजहब किरदार का मजहब है. सबसे गरीब वह है, जिसका आचरण सही ना हो. आज जरूरत है कि धर्म और मजहब के प्रचार की बजाय इंसानियत का प्रचार किया जाये. इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं है. हर धर्म इंसानियत का पुजारी बनने का संदेश देता है, मगर लोग उस पर अमल नहीं करते. आज अगर हम अपने धर्म के प्रति जागरूक हो जाएं तो देश से अत्याचार करने वालों को मिटाया जा सकता है. मैदाने कर्बला में इमामे हुसैन ने यजीद जैसे अत्याचारी से मुकाबला कर धर्म को आजाद नहीं कराया बल्कि इंसानियत को जिंदगी दी है. जिस इंसान में सच्ची इंसानियत पाई जाएगी, वह कभी धर्म की सियासत नहीं करेगा, जो लोग धर्म की सियासत करते हैं, वह धर्म वफादार नहीं हो सकते. इस मजलिस में काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए और अफरोज इमाम के लिए दुआएं मकसूद की.
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