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130वां संविधान संशोधन विधेयक :  कांग्रेस ने कहा, अमित शाह और नैतिकता की बात, यह सदी का सबसे बड़ा मजाक

New Delhi :  130वें संविधान संशोधन विधेयक के संबंध में अमित शाह के बयान पर कि कांग्रेस और विपक्ष में कई लोग नैतिकता का समर्थन करेंगे. कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा कि सदी का सबसे बड़ा मजाक यह है कि नैतिकता की बात कौन कर रहा है.  तंज कसा कि अमित शाह नैतिकता के बारे में बोल रहे हैं.

 

  

 

 

 

 

मणिकम टैगोर ने कहा कि स वह व्यक्ति जिसे गुजरात से बाहर भेज दिया गया था, वह व्यक्ति जो पुलिस द्वारा संगठित हमलों के लिए जिम्मेदार था. मणिकम टैगोर ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि इस विधेयक का भाजपा के कई सहयोगियों ने कड़ा विरोध किया है. यह विधेयक सत्ता में बैठे लोगों को निशाना बनाता है. यह विधेयक सदन में गिर जायेगा.वह(अमित शाह) नैतिकता के बारे में बोलने के योग्य नहीं हैं.

 

 
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार पर हमलावर होते हुए कहा,  ईडी, सीबीआई उनकी पालतू एजेंसियां हैं, इनके जरिए वे विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करवायेंगे. 30 दिन तक जमानत नहीं देंगे, 31वें दिन उन्हें इस्तीफा देना होगा. तंज कसा कि वे कहते हैं कि यह प्रधानमंत्री पर भी लागू होता है. मुझे 11 साल में एक भी मंत्री बताइए जिसके खिलाफ ईडी, सीबीआई ने कोई कार्रवाई की हो. 

 

30वें संविधान संशोधन विधेयक पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, हम आपको संविधान का दुरुपयोग करके यह कानून नहीं बनाने देंगे. गृह मंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी संसद के अंदर अर्धसैनिक बल तैनात किये गये हैं.  प्रमोद तिवारी ने कहा, राहुल गांधी ने कभी अध्यादेश नहीं फाड़ा. झूठ बोलने की भी एक सीमा होती है. 

 

130वें संशोधन विधेयक पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा, वे आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के विरोध को खत्म करना चाहते हैं. पूछा कि क्या अमित शाह ने ईडी पर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी सुनी है?  या इसे सुनने के बावजूद अनसुना कर दिया गया है?  सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा है कि वह एक राजनीतिक दल के रूप में काम कर रहा है और उससे पूछा है कि वह किसके निर्देश पर काम कर रहा है.  

 

 कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा,  क्या प्रधानमंत्री को जेल भेजना संभव है?  प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार संघीय ढांचे पर हमला कर रहे हैं. ईडी को पहले ही किसी को भी 30 दिनों के लिए जेल भेजने का अधिकार दे दिया गया है. विधेयक से क्षेत्रीय दल बिखर जायेंगे क्योंकि एक बार उनके मुख्यमंत्री को जेल हो जाये, तो आप उनकी पार्टी तोड़ देंगे. यह पूरी तरह से असंवैधानिक है.

 

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, हम स्पीकर से अनुरोध करेंगे कि हमें जेपीसी में शामिल किया जाये. कहा किजांच एजेंसियों को स्वतंत्र बनाना चाहिए. क्या यहां संवैधानिक नैतिकता नहीं आती? असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कार्यपालिका (केंद्र सरकार) जांच एजेंसियों की नियुक्ति करती है.

 

ओवैसी ने कहा कि चाहे वह सीबीआई हो या ईडी. जब तक स्वतंत्र रूप से नियुक्तियां नहीं की जातीं, तब तक यह सवाल उठता रहेगा कि ये एजेंसियाँ सरकार के निर्देश पर कैसे काम करती हैं. यूपीए के समय में भी यही स्थिति थी. संविधान (अनुच्छेद) में प्रावधान है कि भारत के राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से निर्देशित होंगे.

 

प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को हटा सकते हैं. लेकिन कैसे? यह विधेयक उस अनुच्छेद के साथ टकराव करता है. क्या कोई राष्ट्रपति किसी प्रधानमंत्री को इस्तीफ़ा देने के लिए विवश कर सकता है?  

 

 

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