New Delhi : दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण पब्लिक करने को बाध्य नहीं है आज सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयुक्त का डिग्री जारी करने का आदेश खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने यह फैसला सुनाया. लंबे समय से विचाराधीन इस मामले में 27 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा गया था.
दरअसल साल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने साल 1978 में ग्रेजुएशन करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी थी. कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उसी साल यह परीक्षा पास की थी. CIC के आदेश को दिल्ली विश्वविद्यालय ने चुनौती दी थी, जिस पर जनवरी 2017 में पहली सुनवाई में ही रोक लगा दी गयी थी.
जान लें कि सुनवाई के क्रम में विश्वविद्यालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि सीआईसी(CIC) के आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए. कहा कि यह निजता का अधिकार जानने के अधिकार से ज़्यादा अहम है.
अहम बात यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने अदालत को बताया कि वह पीएम मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को राजी है, लेकिन आरटीआई अधिनियम के तहत अजनबियों द्वारा जांच के लिए उन्हें पब्लिक नहीं किया जा सकता.
विश्वविद्यालय ने कोर्ट से कहा कि वह छात्रों की जानकारी नैतिक दायित्व के अनुसार सुरक्षित रखता है. जनहित नहीं, केवल जिज्ञासा के आधार पर, आरटीआई कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का औचित्य क्या है. बता दें कि नीरज नाम के एक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत आवेदन दाखिल किया था.
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