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अमित साह ने 130वें संशोधन विधेयक के विरोध पर कहा, विपक्ष चाहता है,जेल से सरकार चलाने की आजादी मिले

New Delhi : संसद में पेश किये गये संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पर विपक्ष आगबबूला है. वे इस बिल का भारी विरोध कर रहे हैं. इस बिल पर बढ़ते विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कई बातें साफ की हैं. उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि कहा कि वे इस बिल का विरोध कर लोकतंत्र की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

 

 

 #WATCH | On the 130th Amendment Bill, Union HM Amit Shah says, "The ruling party alone cannot decide how the Parliament should function. If the opposition fails to create a healthy debate environment for any bill or constitutional amendment, the people of the country will… pic.twitter.com/pVKo7hMdev

 

अमित शाह ने पूछा कि क्या कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है. उन्होंने विपक्ष पर हमला हमलावर होते हुए  कहा कि वे चाहते हैं कि उन्हें जेल से सरकार चलाने की आजादी मिलनी चाहिए. 

 

यह पूछे जाने पर कि विपक्ष उनकी नैतिकता और जेल में बिताए समय पर सवाल उठा रहा है.   गृह मंत्री  ने कहा, सीबीआई से समन मिलने के अगले ही दिन मैंने इस्तीफा दे दिया. बाद में मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. मामला चलता रहा और फैसला आया कि यह राजनीतिक बदले की भावना से किया गया मामला है और मैं पूरी तरह निर्दोष हूं. फैसला बाद में आया, मुझे पहले ही जमानत मिल गयी

 

इसके बाद भी मैंने शपथ नहीं ली और दोबारा गृह मंत्री नहीं बना. इतना ही नहीं, जब तक मेरे खिलाफ सभी आरोप पूरी तरह से खारिज नहीं हो गये, तब तक मैंने किसी भी संवैधानिक पद की शपथ नहीं ली. विपक्ष मुझे नैतिकता का कौन सा पाठ पढ़ा रहा है?.

 

गृह मंत्री ने कहा कि पहले भी मोरल ग्राउंड पर कई नेताओं ने इस्तीफा दिया था, इनमें लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नेता शामिल थे. कहा कि हाल में हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया था. अब हमने इसका कानूनी प्रावधान कर दिया है. 


अमित शाह ने ANI को दिये गये इंटरव्यू में तंज कसा कि वे कोशिश में लगे हुए हैं कि अगर कभी उन लोगों को जेल जाना पड़ा तो जेल से सरकार बना लेंगे. जेल को ही सीएम, पीएम हाउस बना देंगे और अधिकारियों को आदेश जारी करेंगे.  

 

यह पूछे जाने पर कि क्या 130वां संशोधन विधेयक पारित हो पायेगा? अमित शाह ने विश्वास जताया कि यह पारित हो जायेगा. कहा कि कांग्रेस और विपक्ष में कई लोग होंगे जो नैतिकता का समर्थन करेंगे.


अमित शाह ने कहा, संसद कैसे चले, यह सत्ता पक्ष अकेले तय नहीं कर सकता. अगर विपक्ष किसी विधेयक या संविधान संशोधन पर स्वस्थ बहस का माहौल बनाने में नाकाम रहता है, तो देश की जनता तय करेगी कि यह व्यवस्था सही है या नहीं. जब यह तय हो गया कि यह विधेयक पारित नहीं होगा, तो यह जेपीसी के पास जायेगा.

 

 मैं पूर्व में घोषणा कर चुका था कि सरकार ने फैसला किया है कि यह विधेयक जेपीसी के पास भेजा जायेगा. दोनों सदनों के सदस्यों को मिला कर जेपीसी बनेगी. उसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य होंगे.

 

 साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार सहित राजग के सहयोगी इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं. अमित शाह ने जवाब दिया. सभी सहमत हैं. कहा कि उन्हें समर्थन में आगे आने का मौका नहीं मिला.  संसद में बहस नहीं होने दी गयी. जब जेपीसी बुलाई जायेगी और संसद में बहस होगी. उस समय सभी दल अपनी बात रखेंगे. 


 
उन्होंने लालू यादव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें बचाने के लिए तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह द्वारा लाये गये अध्यादेश को राहुल गांधी ने  फाड़ दिया था. उसका क्या औचित्य था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो क्या आज क्यों नहीं है. क्योंकि आप लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं? शाह ने कहा कि नैतिकता के मानदंड चुनाव की जीत या हार से जुड़े नहीं होते. नैतिकता के मानदंड हमेशा अपनी जगह स्थिर रहते हैं. 

 


 इंडिया एलायंस के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को लेकर पर अमित शाह ने आरोप लगाया कि  उन्होंने सलवा जुडूम को खारिज कर दिया था. आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार को खत्म कर दिया था. कहा कि इस वजह से देश में दो दशक से ज़्यादा समय तक नक्सलवाद चला. उस समय नक्सलवाद अपनी अंतिम साँसें ले रहा था.

 

आदिवासियों ने अपनी रक्षा के लिए सलवा जुडूम बनाया. अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. याद दिलाया कि नक्सलियों के कारण उस समय जो स्कूल बर्बाद हुए थे, उन स्कूलों में सीआरपीएफ़ सहित अन्य सुरक्षा बल मौजूद थे.

 

कोर्ट ने रातोंरात आदेश जारी कर सबको बाहर निकाल दिया. इस क्रम में कई जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमले हुए. अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को सुदर्शन रेड्डी से ज़्यादा इन दोनों फ़ैसलों पर जवाब देना चाहिए.

 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर कहा कि वे संवैधानिक पद पर आसीन थे.  अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान के अनुरूप अच्छा काम किया. उन्होंने अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया है. किसी को भी इसे ज़्यादा खींचकर कुछ खोजने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.  

 

एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन को आरएसएस से जोड़ने को लेकर अमित शाह ने कहा, देश के प्रधानमंत्री का आरएसएस से संबंध है, मेरा भी आरएसएस से संबंध है.

 

कहा कि क्या देश ने हमें इसलिए चुना है क्योंकि हम आरएसएस से हैं? क्या आरएसएस से संबंध होना कोई माइनस पॉइंट है? अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी जी, मोदी जी भी आरएसएस से जुड़े हैं.

 

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