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कोरोना जांच के लिए सिर्फ 260 सरकारी केंद्रों के भरोसे झारखंड के 2 करोड़ 45 लाख लोग

प्रखंडों की डेढ़ से ढाई लाख की आबादी पर सिर्फ एक टेस्टिंग सेंटर

दर्जनों पंचायत और गांवों का बोझ अकेले कैसे उठायेगा CHC  का टेस्टिंग सेंटर

कोरोना की दूसरी लहर में गांवों पर पड़ी है मार, पिछली व्यवस्था पर ही चल रहा काम

Satya Sharan Mishra

Ranchi :  कोरोना की दूसरी लहर शहर के साथ-साथ गांवों में तेजी से फैल रही है. जिन गांवों तक पहली लहर में संक्रमण नहीं पहुंच पाया था. इस बार उन सुदूर इलाकों में पहुंचकर कोरोना तबाही मचा रहा है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान सिर्फ शहरी आबादी है. जिला मुख्यालयों में सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज की व्यवस्था की गयी है. लेकिन गांवों में रहनेवाली जिलों की 75 फीसदी आबादी के जांच का पर्याप्त इंतजाम स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है.

हर जिला मुख्यालय में 8 से 10 टेस्टिंग सेंटरों में कोरोना की जांच हो रही है.  लेकिन प्रखंडों में सिर्फ CHC में ही स्थाई सैंपल कलेक्शन सेंटर बना हुआ है. यानी प्रखंडों में कुल 260 जगहों पर ही सैंपल लिये जा रहे हैं. जबकि राज्य के प्रखंडों के अंदर आनेवाली पंचायतों और गांवों की आबादी डेढ़ से ढाई लाख के करीब है. इस लिहाज से हर प्रखंड में कम से कम 5 टेस्टिंग सेंटर होना चाहिए.

टेस्ट के लिए मरीजों को तय करनी पड़ती है 15-20 किमी की दूरी

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रखंडों में जांच की पर्याप्त सुविधा है. लेकिन हकीकत यह नहीं है. ग्रामीण इलाकों में टेस्ट की सुविधाओं के अभाव में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. जो भी टेस्टिंग सेंटर बनाये गये हैं, वहां जांच कराने सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं. भीड़ में संक्रमित होने के डर से लोग जांच कराने नहीं पहुंच रहे हैं. कई मरीजों की हालत इतनी खराब होती है कि वे टेस्ट के लिए घंटों इंतजार करने की हालत में नहीं रहते. कोरोना संक्रमित कई मरीज सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हैं. टेस्ट के लिए उन्हें प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए 15-20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जाहिर है कि गरीब मरीज किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ही प्रखंड मुख्यालय पहुंचेगा. अगर किसी तरह इतनी दूरी तय करके वह सीएचसी पहुंच भी जाता है, तो उसे जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. इस बीच उस संक्रमित व्यक्ति की हालत तो बिगड़ती ही है, साथ ही उसके संपर्क में आये कई लोग भी संक्रमित होते हैं.

जिलों के सिविल सर्जन कह रहे हैं प्रखंडों में ऑल इज वेल

राजधानी रांची के अलावा पूर्वी सिंहभूम, धनबाद, बोकारो, दुमका और हजारीबाग में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. दुमका के सिविल सर्जन अनंत कुमार झा के मुताबिक जिले के सभी 10 प्रखंडों में स्थित सीएचसी को पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट और संसाधन उपलब्ध करा दिये गये हैं. जिन गांवों और पंचायतों में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान हो रही है, वहां सीएचसी से टीम भेजी जा रही है और सैंपल कलेक्ट किया जा रहा है. वहीं हजारीबाग के सिविल सर्जन ने बताया कि सभी प्रखंडों के सीएचसी में कोरोना संक्रमितों की जांच हो रही है. सीएचसी की ओर से विभिन्न पंचायतों में भी अस्थायी कैंप लगाकर सैंपल कलेक्ट किये जा रहे हैं.

प्रखंडों की नाकाफी व्यवस्था से जिले के अस्पतालों पर बोझ

प्रखंडों में सिर्फ टेस्टिंग की सुविधा की ही कमी नहीं है. इलाज की भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. इस वजह से संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है. पिछली लहर में शहरी इलाके में ज्यादा मरीज मिले थे. इस वजह शहर के अस्पतालों में जगह मिल रही थी, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में संक्रमितों की संख्या बढ़ने के कारण जिले के अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है. बेड,  ऑक्सीजन और दवाओं समेत सभी जरूरी चीजों का अभाव हो रहा है. 

कोरोना से बीमार होकर मरने वालों की संख्या काफी

कोरोना संक्रमण का सही समय पर इलाज नहीं होने के कारण मौतों की संख्या भी बढ़ी है. सरकारी आंकड़े तो कोविड पॉजिटिव मरीजों की मौत के हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण से बीमार होकर मरने वालों की संख्या भी काफी है. टेस्ट, इलाज और कोरोना के खौफ से अभी भी हजारों संक्रमित लोग गांवों में बीमार पड़े हैं. खुद भी संक्रमित हैं और दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग की टीम सिर्फ सीएचसी में बैठकर सैंपल कलेक्ट कर जिलों को भेज रही है. स्थिति इतनी बिगड़ने के बाद भी प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी सरकार से न सैंपल कलेक्शन सेंटर बढ़ाने और न स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. सिर्फ कागजों में कोरोना से लड़ा जा रहा है.