Ranchi: राजधानी रांची के देशप्रिय क्लब सभागार, थरपक्ना में शुक्रवार को 30 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला का समापन हुआ. यह कार्यशाला झारखंड सरकार के पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सौजन्य से और नाट्य संस्था एक्स्पोजर द्वारा आयोजित की गई थी.
असगर वजाहत का चर्चित नाटक मंचित
समापन पर कलाकारों ने मशहूर नाटककार असगर वजाहत का लोकप्रिय नाटक ‘जिन लाहौर नइ देख्या, ओ जम्याइ नइ’ प्रस्तुत किया.
यह नाटक 1947 के विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित है. इसमें दिखाया गया कि कैसे एक विस्थापित परिवार और एक हिंदू वृद्धा आपसी नफरत को भूलकर मानवीय रिश्ते से जुड़ जाते हैं.
भावुक कर गया नाटक का प्रसंग
नाटक में एक दृश्य तब दर्शकों को गहराई से छू गया जब कट्टरपंथी लोग वृद्धा को जबरन भारत भेजना चाहते हैं, लेकिन शरणार्थी परिवार उसकी रक्षा करता है. वृद्धा की मृत्यु के बाद उसका संस्कार हिंदू रीति से किया जाता है. इसी वजह से मौलवी की हत्या कर दी जाती है. यह दृश्य इंसानियत और भाईचारे का मजबूत संदेश देता है.
कलाकारों की शानदार प्रस्तुति
निर्देशन : संजय लाल
मंच सज्जा : दीपांकर कर्मकार
प्रकाश व ध्वनि : प्रदीप बोस
परिधान : सुनीता लाल
संगीत : रथीन मुखर्जी
मुख्य भूमिकाएं निभाईं
स्वस्तिका शर्मा (रतन की मां)
रतन दीप तिग्गा (सईद मिर्जा)
रोशन प्रकाश (पहलवान)
श्वेताग सागर (नासिर)
दिव्या गुप्ता (बेगम हिदायत)
शर्मिष्ठा शर्मा (तन्नों)
आकाश (मौलवी)
इसके अलावा लगभग 30 कलाकारों और तकनीकी टीम ने मिलकर प्रस्तुति को सफल बनाया.
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