Oslo : यूक्रेन वॉर के बीच खबर आयी है कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने रूस की सीमा के पास नार्वे में भारी सैन्य अभ्यास(कोल्ड रिस्पांस ) शुरू किया है. इस अभ्यास के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नार्वे की 200 किमी जमीनी सीमा रूस से लगती है. सैन्य अभ्यास में 30 हजार सैनिक, 50 युद्धक जहाज और 200 फाइटर जेट हिस्सा ले रहे हैं. नाटो ने नार्वे में एक एयरक्राफ्ट कैरियर, एक डेस्ट्राभयर जहाज और एक परमाणु ऊर्जा चालित अटैक सबमरीन को भेजा है. हालांकि नाटो ने दावा किया है कि सैन्यर अभ्यास का रूस के यूक्रेन में अवैध आक्रमण से कोई संबंध नहीं है.
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रूसी सेना को सख्त संदेश देने की तैयारी
जानकारों का कहना है कि इस सैन्यै अभ्यास के जरिए नाटो यूक्रेन में कहर बरपा रही रूसी सेना को उत्तरी यूरोप के मोर्चे पर सख्त संदेश देने की तैयारी कर रही है. जानकारी के अनुसार 30 हजार सैनिक 28 यूरोपीय देशों और अमेरिका के हैं. अभ्यास सोमवार को शुरू हो गया है. यह एक माह तक चलेगा. इस अभ्यायस को कोल्ड रिस्पांस नाम दिया गया है. जानकारी के अनुसार अभ्यास रूस की सीमा से मात्र कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है. अभ्यास में शामिल सैनिक नार्वे के समुद्र तटीय इलाके में जंगी जहाज से उतर छापा मारने का अभ्यास करेंगे.
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एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स भी हिस्सा ले रहा है
जानकारी सामने आयी है कि अभ्याास के दौरान एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स भी हिस्सा ले रहा है. साथ ही फ्रिगेट एचएमएस रिचमंड समेत कई घातक जंगी जहाज हिस्सा ले रहे हैं. इस अभ्यास का उद्देश्य यह दिखाना है कि कैसे एक एकीकृत बहुपक्षीय सेना नार्वे और यूरोप के उत्तरी तट की आधुनिक दुश्मन से रक्षा करेगी.
ब्रिटेन के कमांडो फोर्स के प्रभारी ब्रिगेडियर रिच कांट्रिल ने कहा कि नाटो को एक गठबंधन के रूप में सभी तरह के पर्यावरण में हर चीज के लिए तैयार रहना चाहिए. यह हमारे लिए जरूरी है कि हम नार्वे की मदद करें और यही वजह है कि हम आर्कटिक में अक्सर अभ्यास करते रहते हैं. समुद्री कार्रवाई के साथ- साथ इस अभ्यास के दौरान हवाई अभियान भी किया जायेगा.
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रूस को अभ्यास की सूचना दी है: नाटो
नाटो ने कहा कि इस अभ्यास की योजना कथित रूप से युद्ध अपराधी व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमले के आदेश से पहले ही बना ली गयी थी. रूस को इस अभ्यास में पर्यवेक्षक का दर्जा दिये जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. नार्वे की सेना ने कहा है कि उसने रूस की सेना और रक्षा मंत्रालय को पूरी सूचना दे दी है. नार्वे ने कहा कि गलतफहमी पैदा होने से बचने के लिए उसने रूस को यह सूचना दी है.