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62 हजार करोड़ का घोटाला और खामोश मीडिया

Grirish Malviya

मोदी सरकार में सात साल तक ऊर्जा मंत्री रहे आरके सिंह अब खुलकर मोदी अडानी गठजोड़ पर बोल रहे हैं .लेकिन देश का मेन स्ट्रीम मीडिया पूरी तरह से खामोश बना हुआ है. हम बात कर रहे हैं बिहार के  भागलपुर में 2,400 मेगावाट की पीरपैंती बिजली परियोजना की. पिछले महीने सितंबर में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीरपैंती में 2400 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट का वर्चुअल शिलान्यास किया था.

 

दरअसल बिहार सरकार ने अडानी पावर लिमिटेड के साथ पीरपैंती में थर्मल पावर प्लांट लगाने का करार किया है, जिसके तहत राज्य सरकार अगले 25 साल तक छह रुपये से अधिक प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदेगी.

 

लेकिन मोदी सरकार में सात साल केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ही बता रहे हैं कि इस डील की शर्तें पूरी तरह एकतरफा है. बिहार सरकार को अडानी के प्लांट में बनी बिजली 6.075 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी होगी. इसमें फिक्स्ड कॉस्ट 4.16 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है. यानी सरकार बिजली की एक भी यूनिट खरीदे या ना खरीदे उसे ये राशि अडानी ग्रुप को देनी पड़ेगी.

 

यहां बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं है. आरके सिंह ने आगे और बताया कि मुझे पता चला कि यह बिजली परियोजना 15 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की निश्चित पूंजी लागत पर दी जा रही है. 10 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की पूंजी लागत के आधार पर प्रति यूनिट बिजली की कीमत लगभग 2.75 रुपये प्रति यूनिट आती है. लेकिन हम बिजली कंपनी को 4.16 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करने पर सहमत हुए हैं. अतिरिक्त भुगतान सालाना लगभग 2,500 करोड़ रुपये होगा. चूंकि यह समझौता 25 वर्षों के लिए है, इसलिए राज्य के खजाने को अनुमानित नुकसान लगभग 62,000 करोड़ रुपये होगा.

 

आपको बता दें कि पिछले 15 महीनों में अडानी पावर को मिला यह चौथा बड़ा बिजली आपूर्ति ऑर्डर है. राजस्थान, मध्यप्रदेश में भी ऐसी ही डील हुई है. यहां सोचने वाली बात ये है कि सिर्फ एक ऑर्डर में हुआ घोटाला 62 हजार करोड़ का है, तो बाकी तीनों को मिलाकर हुआ घोटाला लाखों करोड़ के ऊपर ही होगा!

 

यहां ये भी याद दिलाना जरूरी है कि ऐसा ही एक डील अडानी पावर और बांग्लादेश के बीच 2017 हुई थी. जब बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार सत्ता में थी. इसके तहत बांग्लादेश को झारखंड में अडानी के 1,600 मेगावाट के कोयला बिजलीघर से पैदा होने वाली 100 फीसदी बिजली खरीदनी थी. इस सौदे में हुआ भ्रष्टाचार शेख हसीना को बहुत भारी पड़ा और इसकी कीमत उन्हें अपनी गद्दी छोड़कर चुकाना पड़ी. 

 

ऐसे ही नहीं मोदी राज में अडानी पावर देश की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी बनी है. पिछले 6 महीने में अडानी पावर के स्टॉक में 42.58% की वृद्धि देखी गई है. सब कुछ साफ साफ दिख रहा है. देश का केंद्रीय ऊर्जा मंत्री रहा व्यक्ति ही मोदी अडानी गठजोड़ की पूरी पोल खोल रहा है. लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रहा है और अपने साथ ही साथ लोगों की आंखों पर पट्टी बांध रहा है.

 

 

डिस्क्लेमर :  यह लेख लेखक के सोशल मीडिया से साभार लिया गया है.

 

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