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कस्टम अधिकारियों की मिलीभगत से स्कूटर मोटर साइकिल के नंबर से हुआ 800 करोड़ का एक्सपोर्ट घोटाला

Ranchi : कस्टम अधिकारियों की मिलीभगत से कागजी कंपनियों ने स्कूटर और मोटरसाइकिल के सहारे 800 करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट घोटाले को अंजाम दिया है. एक्सपोर्ट घोटाले के इस मामले की जांच पटना सीबीआई कर रही है. इसमें कस्टम के पांच अधिकारियों के अलावा कोलकाता, ओड़िशा, तामिलनाडू, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की कंपनियां शामिल हैं.

 

इस मामले की जांच में पाया गया है कि इन कंपनियों ने कस्टम अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची. तामिलनाडू सहित अन्य राज्यों की कंपनियों ने एक्सपोर्ट के लिए आईईसी नंबर हासिल किए. इसके बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से पड़ोसी देश नेपाल में टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्टस का फर्जी एक्सपोर्ट दिखाया.

 

मुजफ्फरपुर में पदस्थापित कस्टम विभाग के अपर आयुक्त रंजीव कुमार नेपाल के भीमनगर, जयनंगर स्थित कस्टम कार्यालय में पदस्थापित सुप्रिटेंडेट को फर्जी एक्सपोर्ट से संबंधित दस्तावेज (एलईओ) जारी करने का मौखिक आदेश देते थे. इसके बाद फर्जी एक्सपोर्ट दिखाकर जीएसटी की वापसी दावा किया जाता था.

 

जांच के दौरान यह पता चला है कि फर्जी एक्सपोर्ट के सहारे 100 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी रिटर्न लिया गया है. फर्जी एक्सपोर्ट में शामिल कंपनियों ने ऑटोमोबाइल्स और टाइल्स नेपाल पहुंचाने के लिए 583 वाहनों का इस्तेमाल दिखाया था. जांच के दौरान वाहनों के नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार और बस के पाये गये.

 

एक्सपोर्ट घोटाले में शामिल कस्टम अधिकारी

सीबीआई ने इस घोटाले की जांच के दौरान पाया कि बिहार और नेपाल की सीमा पर तैनात कस्टम अधिकारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया है. इस घोटाले में रणविजय कुमार (तत्कालीन अपर आयुक्त कस्टम, पटना), नीरज कुमार (तत्कालीन अधीक्षक व वर्तमान सहायक आयुक्त कस्टम जयनगर), मनमोहन शर्मा (तत्कालीन अधीक्षक जयनगर व वर्तमान सहायक आयुक्त), तरूण कुमार सिन्हा (तत्कालीन अधीक्षक, भीमनरग), राजीव रंजन सिन्हा ( तत्कालीनअधीक्षक कस्टम भीमनगर), गंगा सिंह (दत्ता क्लियरिंग एजेंट कोलकाता का कर्मचारी) शामिल हैं.

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