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झारखंड के 9 कमाल के उत्पादों को मिलेगी GI टैग

Ranchi : झारखंड के 9 खास प्रोडक्ट्स को जल्द ही GI टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) मिलने वाला है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान मिलेगी. सरकार ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है.

 

 कौन-कौन से 9 प्रोडक्ट हैं खास?

ये हैं वो 9 अद्वितीय चीज़ें जिन्हें जीआई टैग दिलाने की कोशिश हो रही है:

अट्ठे मटन (देवघर का शुद्ध घी में बना लजीज मटन)

कुचाई हल्दी (सरायकेला-खरसावां की ऊँचे करक्यूमिन वाली चमकीली हल्दी)

बीरू गमछा (सिमडेगा का लाल-सफेद धारी वाला हाथ से बुना सूती कपड़ा)

कुचाई सिल्क साड़ी (सरायकेला-खरसावां के टसर सिल्क की प्राकृतिक चमक वाली साड़ी)

तसर सिल्क साड़ी (एक और खास सिल्क साड़ी)

 

मीठी इमली

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आदिवासी ज्वेलरी

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बांस का काम (Bamboo Work)

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करणी शॉल

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इन प्रोडक्ट्स की खासियतें:

अट्ठा मटन: यह देवघर की डिश है, जिसे शुद्ध घी में पकाया जाता है, इसलिए इसका स्वाद बिल्कुल अनोखा होता है.

कुचाई हल्दी: यह सरायकेला-खरसावां जिले की है. इसमें करक्यूमिन की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, जिससे इसका रंग बहुत चमकीला होता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है.

बीरू गमछा: यह सिमडेगा का है. इसे हाथ से बुना जाता है और इसकी पहचान इसकी लाल और सफेद धारियाँ हैं.

कुचाई सिल्क साड़ी: यह सरायकेला-खरसावां के कुचाई ब्लॉक में बनती है. यह टसर सिल्क से बनी होती है और इसकी प्राकृतिक चमक इसे सबसे अलग बनाती है.

 

GI टैग मिलने के बड़े फायदे:

जीआई टैग मिलना इन उत्पादों के लिए सोने पर सुहागा जैसा होगा:

विश्व पहचान: इन प्रोडक्ट्स को दुनिया भर में पहचान मिलेगी.

बाजार में उछाल: इनका बाजार बढ़ेगा और इनकी माँग (Demand) बढ़ेगी.

रोज़गार: स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को काम के और भी मौके मिलेंगे.

 

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