Ranchi: असम के चाय बागान क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी परिवारों की समस्याओं को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को झारखंड विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. आदिवासी समन्वय समिति भारत (असम) के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को चाय बागान क्षेत्र में बसे झारखंड मूल के आदिवासी समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर गंभीर मुद्दों से अवगत कराया.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि असम सरकार की उदासीनता के कारण आदिवासी परिवार उपेक्षा और पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासनकाल में झारखंड से मजदूरों को असम ले जाकर बसाया गया था. लेकिन आज भी इन परिवारों को दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ रहा है. चाय बागानों में काम कर रहे आदिवासी श्रमिकों के वेतन, भूमि विवाद और सामाजिक पहचान से जुड़े मुद्दे लगातार अनसुलझे हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुनते हुए आश्वस्त किया कि झारखंड सरकार आदिवासी समुदाय की पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएगी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही एक डेलिगेशन को असम भेजेगी, जो वहां रह रहे आदिवासी समाज की वास्तविक स्थिति का प्रत्यक्ष अध्ययन करेगा. मुख्यमंत्री ने चाय बागान श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि उनके दैनिक वेतन में वृद्धि और भूमि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार सकारात्मक पहल करेगी.
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा और अधिकारों की रक्षा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और झारखंड उन समुदायों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है, जिन्हें ऐतिहासिक कारणों से आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है.
मुलाकात के दौरान मंत्री चमरा लिंडा सहित आदिवासी समन्वय समिति भारत (असम) के जीतेन केरकेट्टा, बिरसा मुंडा, तरुण मुंडा, गणेश, अजीत पूर्ति, राजेश भूरी, बाबूलाल मुंडा और मंगल हेंब्रम उपस्थित रहे.
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