Adityapur (Sanjeev Mehta) : जन कल्याण मोर्चा शनिवार सुबह 11 बजे से जलापूर्ति योजना में देरी के विरोध में महाधरना देगा. गर्मी की आहट से ही आदित्यपुर में भूजल स्तर गिरने लगा है. बोरिंग का जलस्तर गिरने से यहां की 50 फीसदी आबादी को अभी से ही भीषण गर्मी में घोर जल संकट का सामना करने की आशंका सता रही है. ऐसे में नगर निगम ने रोज 60 हजार लीटर पानी जरुरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.नगर निगम के नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने बताया कि गर्मी में होने वाली पानी की किल्लत को लेकर टैंकर से जलापूर्ति की योजना बना ली गई है. नगर निगम क्षेत्र के करीब 50 हजार परिवार जो पाइप लाइन जलापूर्ति से मरहूम हैं और भूमिगत या टैंकर से जलापूर्ति पर निर्भर हैं को गर्मी में पानी के लिए दर दर भटकना पड़ता है. उनके लिए नगर निगम ने टैंकर से जलापूर्ति का लाभ देने की योजना बनाई है.
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क्षेत्र में 600 फीट गहराई तक जलस्तर पहुंच गया है
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बता दें कि आदित्यपुर में वर्तमान जलापूर्ति योजना सीतारामपुर डैम से संबद्ध है जिसकी क्षमता महज 5 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) की है. इससे वर्तमान में केवल 11 हजार परिवारों को ही पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ मिल पाता है. यह योजना 60 साल पुरानी है और पाइप लाइन भी लगभग क्षतिग्रस्त हो चुकी है. एक अनुमान के अनुसार पिछले 15 वर्षों में आदित्यपुर की आबादी तीन गुना बढ़ा है लेकिन इस क्षेत्र में पाइप लाइन की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. लिहाजा लोग घर बनाकर सीधे बोरिंग कराकर अपनी जरुरतें पूरी कर रहे हैंं. भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन से भूमिगत जल भी अब पानी देने की स्थिति में नहीं है. हर वर्ष गर्मी की आहट के साथ ही बोरिंंग सूखने लगते हैं और लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है. आदित्यपुर में वर्तमान में 600 फीट गहराई तक जलस्तर पहुंच गया है. इससे एक एक परिवार को तीन से चार बार बोरिंग कराना पड़ा है. हालांकि अब नगर निगम पूरी तरह से जलापूर्ति सिस्टम को टेकओवर कर लिया है, ऐसे में इसे संचालित करने वाली एजेंसी जिंदल के लिए भी अभी कम से कम दो वर्ष तक पूरी आबादी को पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ दिलाना टेढ़़ी खीर ही साबित होगी.
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नगर निगम के पास उपलब्ध संसाधन
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12 हजार लीटर क्षमता का टैंकर दो, छह हजार लीटर का टैंकर एक और दो हजार लीटर का टैंकर चार उपलब्ध है. 12 हजार लीटर के टैंकर एक दिन में 2 ट्रिप लगाएंगेे जिससे कि रोज 24 हजार लीटर की जलापूर्ति होगी. 6 हजार लीटर के 1 टैंकर 4 ट्रिप लगाएंगे जिससे कि 24 हजार लीटर जलापूर्ति होगी वहीं 2 हजार लीटर के टैंकर रोजाना 6 ट्रिप लगाएगी जिससे कि 12 हजार लीटर जलापूर्ति होगी. इस प्रकार रोज 60 हजार लीटर पानी टैंकर से जरुरतमंदों को नगर निगम देने की योजना बनाई है. इसके अलावा 35 वार्ड में 76 एचवाईडीटी प्लांट हैं जिसे भी दुरुस्त कराया जा रहा है इस पर सभी वार्ड के करीब 20 हजार परिवार निर्भर रहेंगे.
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महज 11 हजार परिवारों को ही पाइप लाइन जलापूर्ति का मिल रहा लाभ
आदित्यपुर की आबादी तकरीबन 60 हजार परिवारों की है लेकिन महज 11 हजार परिवारों को ही पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ मिल रहा है. बाकी के 50 हजार परिवार भू जल पर निर्भर हैं. नगर निगम को इसके लिए गर्मी में रोज तकरीबन 70 हजार गैलन टैंकर से जलापूर्ति करानी पड़ती है. इसके बावजूद लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है.
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आज मोर्चा वृहद जलापूर्ति योजना में देर को लेकर कर रहा महाधरना
जल संकट पर सामाजिक संगठन जन कल्याण मोर्चा ने गंभीरता दिखाई है. आज शनिवार को आकाशवाणी चौक पर मोर्चा द्वारा जनहित में जलापूर्ति योजना की लेटलतीफी को लेकर सर्वदलीय महाधरना किया जा रहा है. मोर्चा के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि यहां पेयजल की समस्या से जूझ रहे करीब 20 हजार आबादी के लिए आवास बोर्ड भी जिम्मेवार है. मोर्चा अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए कहा कि 1995 के बाद की बनी किसी भी कॉलोनी में आवास बोर्ड ने मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं कराया है. इसके लिए आवास बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारी दोषी हैं. उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. बता दें कि वार्ड 17 जो नगर निगम का नया वार्ड है, इसका विकास तकरीबन 20 वर्ष पूर्व हुआ है. यहां आवास बोर्ड की 1200 के करीब एलआईजी, एमआईजी व एचआईजी प्लॉट्स एवं मकान व फ्लैट हैं. जिसमें बड़ी आबादी रहती है लेकिन इन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई है. यहां के लोग 15 वर्ष तक भू जल पर निर्भर रहकर समय बिता लिए लेकिन अब तक भी यहां के लोगों को पीने का पानी मयस्सर नहीं है.
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क्या है आवास बोर्ड अधिनियम
बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1982 के अध्याय 6 में यह उल्लेख है कि आवास बोर्ड को अपने विकसित किए गए क्षेत्र में सड़क, मार्ग, पेयजल, जल निकास, स्ट्रीट लाइट जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक होगा. इस अधिनियम के तहत ही बिहार राज्य आवास बोर्ड अधिनियम 1983 की धारा 44 (क) के अनुसार पुरानी आवासीय कॉलोनी में विकास कर 28.06.1989 को तत्कालीन कार्यपालक अभियंता आवास बोर्ड ने तत्कालीन आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को हैंड ओवर कर दिया था लेकिन न्यू दिंदली हाउसिंग कॉलोनी चूंकि बाद में बना इसलिए यह क्षेत्र अब तक आवास बोर्ड के अधीन है. यहां जो भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इसके लिए आवास बोर्ड को पहल करने की जरुरत है.
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