Adityapur (Sanjeev Mehta) : चांडिल डैम के विस्थापितों ने शनिवार को आदित्यपुर स्थित सुवर्णरेखा के प्रशासक कार्यालय गेट पर डेरा जमाकर मुख्य गेट जाम कर दिया. विस्थापितों का नेतृत्व कर रहे विस्थापित राकेश रंजन ने कहा कि सुवर्णरेखा परियोजना के अधिकारी 40 साल से हमारे पूर्वजों को ठग रहे हैं. हमारे पूर्वज से जबरन जमीन छीन लिया गया और बदले में विकास पुस्तिका थमा दी गई लेकिन विकास पुस्तिका के अनुसार नौकरी नहीं दी गई. जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया. अब तक डैम के अधीन आने वाले 116 गांव और 84 मौजा के लोगों को पुनर्वासित नहीं कराया गया है.
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विस्थापित अब करो या मरो की लड़ाई लड़ने को मजबूर

वर्तमान में सुवर्णरेखा प्रशासन 185 आरएल जल संग्रहण का निर्णय ले ली है जिसका मतलब 60 गांव पूर्णतः डूब जाएगा. ऐसे में अब हमलोगों ने अंतिम लड़ाई का निर्णय लिया है. यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है. जरुरत पड़ी तो हमलोग डैम का सभी फाटक खोलकर डैम खाली करेंगे और अपनी अपनी जमीन पर खेती गृहस्थी करेंगे. बता दें कि सुवर्णरेखा प्रशासक कार्यालय पर ही मनोहर महतो नामक विस्थापित पिछले छह माह से धरना पर बैठे हैं. राज्य की सरकार कान में तेल डालकर सो रही है. इन सभी मामलों का निष्पादन एक महीने में नहीं हुआ तो अब विस्थापित करो या मरो की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे.
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