- पान-स्वांसी समन्वय परिषद का प्रदेश स्तरीय महासम्मेलन 18 फरवरी को
- सभी 24 जिले के प्रतिनिधि होंगे शामिल
- बिहार की तर्ज पर अनुसूचित जाति में शामिल करने के एजेंडे पर लिया जाएगा निर्णय
Adityapur (Sanjeev Mehta) : झारखंड पान-स्वांसी समन्वय परिषद का प्रदेश स्तरीय महासम्मेलन 18 फरवरी को जमशेदपुर में सम्पन्न होगा. इसमें सभी 24 जिले के प्रतिनिधि शामिल होंगे. महासम्मेलन का एजेंडा होगा बिहार के तर्ज पर अनुसूचित जाति में शामिल करना, जिसके लिए पान तांती समाज के लोग एकजुट होकर इस एजेंडे पर लिए जानेवाले निर्णय के तहत राज्यभर में चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. यह निर्णय बीती रात एल रोड, बिष्टुपुर में “झारखंड पान-स्वांसी समन्वय परिषद्” की विषेश बैठक में ली गई है. बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी रामभगत तांती ने की. बैठक का संचालन कार्यकारी अध्यक्ष मानिक चंद पातर ने की. बैठक में निर्णय लिया कि सर्व समिति से झारखंड स्तरीय पान महासम्मेलन इस समन्वय परिषद् के तहत 24 जिले के संस्थाओं को एक छत के नीचे किया जाएगा.
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इसके लिए आगामी 18 फरवरी 2024 को गंधक रोड, साकची, स्टील हाउस में महासम्मेलन होना सुनिश्चित हुआ है. बैठक में पान तांती समाज के लोगों ने कहा कि झारखंड में वर्षों से पान तांती समाज के लोग उपेक्षित हैं. हमलोग झारखंड सरकार से वर्षों से मांग करते आ रहे हैं कि बिहार के तर्ज पर पान स्वांसी की उप-शाखा तांती तत्वा को विलोपित कर पान स्वांसी को अनूसूचित जाति का दर्जा प्रदान की जाए. आरक्षण के बिना हमारे समाज के विकास के रथ को रोक कर दीन-हीन बना दिया गया है.
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वक्ताओं ने कहा कि वर्षों से उनके समाज के पूर्व विधायक स्वर्गीय मुकुंद राम तांती उसके बाद स्व श्रीधर बाबू और फिर झारखंड पान कल्याण समिति की ओर से सेवानिवृत्ति पदाधिकारी एन.सी दास, प्रोफेसर संतोष दास पान, प्रेम शंकर बाबू के नेतृत्व में टीएसी, बैकवर्ड कमिशन आयोग के पदाधिकारी नीलकंठ सिंह मुंडा, जे बी तूबिद एवं अन्य पदाधिकारियों के साथ मीटिंग कर अपनी मांग रख चुके हैं. उन्हें लगभग 200 पृष्ठों का प्रमाणित आवेदन और 5- 6 जमीन के खतियान के पेपर भी दिया गया है जिसमें पान तांती का पूर्व में अनुसूचित जाति में होना दर्ज है. आयोग के बैठक में उपस्थित होकर सरकार को आश्वस्त भी कर दिया गया कि तांती ही मूल रूप से पान है.
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उन्होंने कहा कि यह सरकार के पास अधर में पड़ी हुई है, सरकार यदि पान समाज को बिहार के तर्ज पर पुनः अनुसूचित जाति की दर्जा प्रदान नहीं करती है, तो झारखंड के 15 लाख पान समाज सरकार के लोग आंदोलन को बाध्य होंगे. समाज के लोग सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे. इसी हक की लड़ाई शक्ति और मजबूती के साथ लड़ने के लिए 24 जिलों के संस्थाओं को एक सूत्र में पिरोने का काम “झारखंड पान-स्वांसी समन्वय परिषद” कर रही है. बैठक में महासचिव दिलीप दास त्यागी, सचिव बनवाली दास, दिलीप दास त्यागी, कोषाध्यक्ष रंजीत दास, राम बहादुर दास, किशन देव प्रसाद, राम प्रकाश प्रसाद, डॉ महेंद्र कुमार, पूर्ण चंद्र दास, छोटेलाल तांती, राम प्रसाद, अशोक दास, डॉ प्रभु नाथ प्रसाद, राजेश प्रसाद, राजेश दास, राम पात्रो, कृष्ण पात्रो, रमेश प्रसाद, प्रभाकर दास आदि शामिल थे.
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