में बनी फिल्म नासूर की टीम ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की इन बस्तियों के गरीब मजदूर और आदिवासी लोग इलाज के लिए यहां आते हैं. जबकि स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा के नाम पर आयुष चिकित्सक, दो जेनरल फिजीशियन डॉक्टर और मात्र चार नर्सेस तैनात हैं. यहां पदस्थापित नर्सेस प्रसव के काम में दक्ष भी नहीं हैं जिसके वजह से गरीब मजदूर वर्ग के लोगों को प्रसव के लिए निजी नर्सिंग होम की ओर रुख करना पड़ता है. जिन्हें ज्यादा खर्च उठाना पड़ रहा है. इसे भी पढ़ें :चाईबासा">https://lagatar.in/chaibasa-the-road-became-muddy-after-the-rain/">चाईबासा
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क्या कहती हैं प्रभारी चिकित्सक
[caption id="attachment_708295" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> अस्पताल की चिकित्सक.[/caption] केंद्र में पदस्थापित प्रभारी चिकित्सक डॉ. लक्ष्मी बताती हैं कि यहां तीन चिकित्सक के पद है इसमें दो पद खाली है. स्वास्थ्य कर्मियों और नर्सेस भी पदस्थापना के अनुरूप नहीं है. वो बताती हैं कि यहां बरसाती मौसम में 150 से 170 मरीज रोज ओपीडी में आते हैं. जिनका इलाज तो हो जाता है लेकिन अधिकतर मरीजों को रेफर करना पड़ता है. यहां दवाइयां भी उपलब्ध नहीं है जिसकी वजह से मरीजों को बाहर से खरीदकर लेना पड़ रहा है. यहां 6 बेड तो है लेकिन वह केवल प्रसव धारी महिलाओं के लिए है. [caption id="attachment_708284" align="aligncenter" width="300"]
alt="" width="300" height="200" /> अस्पताल के नर्सेस की तस्वीर.[/caption] इसे भी पढ़ें :बहरागोड़ा">https://lagatar.in/bahragora-the-statue-of-dr-bhimrao-ambedkar-is-surrounded-by-bushes/">बहरागोड़ा
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